अमिताभ कांत ने दी चेतावनी, सॉवरेन एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर के बिना भारत पिछड़ सकता है

अमिताभ कांत ने दी चेतावनी, सॉवरेन एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर के बिना भारत पिछड़ सकता है

अमिताभ कांत ने दी चेतावनी, सॉवरेन एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर के बिना भारत पिछड़ सकता है

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IANS
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New Delhi: Former CEO of the NITI Aayog and G20 Sherpa Amitabh Kant during a panel discussion on 'Solving the Energy Trilemma: Access, Affordability, Availability' the Raisina Dialogue 2024

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुंबई, 3 दिसंबर (आईएएनएस) नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि भारत को तत्काल सॉवरेन एआई कैपेबिलिटी बनानी चाहिए, नहीं तो विदेशी टेक्नोलॉजी फर्मों पर निर्भर होने का जोखिम उठाना पड़ेगा जो अपने मॉडल को मजबूत करने के लिए भारतीय डेटा का इस्तेमाल कर रही हैं।

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मिंट ऑल अबाउट एआई टेक4गुड अवॉर्ड्स में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि देश की टेक्नोलॉजिकल ट्रैजेक्टरी इस बात से तय होगी कि वह कितनी तेजी से अपने घरेलू कंप्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करता है, सेंसिटिव डेटा की सुरक्षा करता है और स्वदेशी एआई सिस्टम बनाने वाले स्टार्टअप्स को सपोर्ट करता है।

कांत ने कहा, हाल के दिनों में किसी भी दूसरी टेक्नोलॉजी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तरह दुनिया में तूफान नहीं मचाया है।

उन्होंने इसे आर्थिक अवसर, राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता और डेमोग्राफिक क्षमता का एक दुर्लभ मेल बताया और कहा कि दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल डेटा जनरेटर में से एक के रूप में भारत की स्थिति, देश को स्थानीय जरूरतों के आधार पर एआई सिस्टम को आकार देने का एक अनोखा मौका देती है।

कांत ने चेतावनी दी कि जहां भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर ने बड़े पैमाने पर समावेशन को बढ़ावा दिया है, वहीं देश की पिछड़ती कंप्यूट कैपेसिटी इसकी प्रगति को धीमा करने का खतरा पैदा करती है। उन्होंने हाल ही में ओपनएआई और एनवीडिया के बीच हुई पार्टनरशिप की ओर इशारा किया, जिससे 10 गीगावाट जीपीयू कैपेसिटी बनाई जा सकेगी, जो लगभग 5 मिलियन लेटेस्ट हाई-परफॉर्मेंस प्रोसेसर के बराबर है। इसकी तुलना में, भारत में लगभग 30,000 जीपीयू का बेस है।

उन्होंने कहा, “इस कमी को पूरा करने के लिए प्राइवेट सेक्टर के बड़े इन्वेस्टमेंट और फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की जरूरत है। आज, भारत में ओपनएआई के चैटजीपीटी के किसी भी दूसरे देश से ज्यादा मासिक सक्रिय यूजर हैं। यह अमेरिका से भी लगभग 33 प्रतिशत अधिक है।”

उन्होंने कहा कि सॉवरेन कैपेबिलिटी तीन वजहों से जरूरी है। पहला, आत्मनिर्भरता, यह एक मजबूत घरेलू स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देगी और एआई हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में कैपिटल को आकर्षित करेगी। दूसरा, भारत की भाषाओं, कल्चरल कॉन्टेक्स्ट और पब्लिक सेक्टर की जरूरतों के हिसाब से मॉडल एआई को हर नागरिक के लिए लागू बनाएंगे। तीसरा, एक सुरक्षित घरेलू इंफ्रास्ट्रक्चर नेशनल सिक्योरिटी के लिए बहुत जरूरी होगा, खासकर जब एआई सिस्टम पब्लिक सर्विसेज में गहराई से जुड़ जाएंगे।

कांत ने कहा कि ग्लोबल फर्म फ्री या कम लागत वाली सर्विसेज दे रही हैं और इस डेटा का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर क्लोज्ड-सोर्स मॉडल को ट्रेन करने के लिए कर रही हैं। उन्होंने कहा, “ भविष्य में एआई सर्विसेज हमारे अपने डेटा से चलने वाली हो सकती हैं, लेकिन उनका मालिकाना हकर दूसरों के पास होगा और हमें वह वापस बेची जाएंगी।”

उन्होंने एक ऐसे रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की मांग की जो ग्लोबल मॉडल्स को भारत में ऑपरेट करने की इजाजत दे, लेकिन उन्हें देश के अंदर होस्ट किए गए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर चलाना जरूरी हो। उन्होंने कहा कि कोई भी यूजर डेटा बड़े लैंग्वेज मॉडल्स वाले एप्लिकेशन्स के लिए भारत से बाहर नहीं जाना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि इस तरीके से कंप्यूटिंग कैपेसिटी में इन्वेस्टमेंट आएगा और प्राइवेसी प्रोटेक्शन मजबूत होगी।

उन्होंने कहा कि भारत के उभरते एआई स्टार्टअप, जिनमें सर्वम एआई, सोखत एआई, धनी एआई और गैंट एआई शामिल हैं, आधारभूत मॉडल बनाने की शुरुआत कर रहे हैं, लेकिन वैश्विक मानकों तक पहुंचने के लिए उन्हें उच्च-गुणवत्ता वाले डेटा और शक्तिशाली कंप्यूटिंग के विशाल भंडार तक पहुंच की आवश्यकता होगी।

शीर्ष एआई रिसर्चर्स को आकर्षित करने, डेटासेट तक पहुंच में सुधार लाने और सार्वजनिक कंप्यूटिंग बाजारों का विस्तार करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय कार्यक्रम आवश्यक होंगे।

कांत ने कहा कि ग्लोबल उदाहरण दिखाते हैं कि टेक्नोलॉजिकल बदलाव में देर से आने वाले देश कभी-कभी मौजूदा देशों से आगे निकल सकते हैं।

उन्होंने कहा, “इतिहास बताता है कि टेक्नोलॉजी में, कभी-कभी जो देर से आते हैं, लेकिन तेजी से आगे बढ़ते हैं और ज्यादा स्मार्ट तरीके से सीखते हैं तो पहले की गलतियों से बच जाते हैं,” उन्होंने बताया कि कैसे गूगल ने शुरुआती सर्च इंजन को पीछे छोड़ दिया और कैसे बाद में आने वालों ने हार्डवेयर मार्केट को बदल दिया।

--आईएएनएस

एबीएस/

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