जन्माष्टमी : लड्डू गोपाल की मूर्तियों के साथ हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहा अलीगढ़

जन्माष्टमी : लड्डू गोपाल की मूर्तियों के साथ हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहा अलीगढ़

जन्माष्टमी : लड्डू गोपाल की मूर्तियों के साथ हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहा अलीगढ़

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IANS
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अलीगढ़ : जन्माष्टमी के लिए लड्डू गोपाल की चांदी की मूर्ति तैयार कर रहे मुस्लिम मूर्तिकार

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

अलीगढ़, 12 अगस्त (आईएएनएस)। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व नजदीक है। यह पर्व मूर्तिकारों के लिए काफी खास होता है, जो महीनों से इसका इंतजार करते हैं। उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ जिला इस उत्सव में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहा है, जहां मुस्लिम भाई-बहन जन्माष्टमी के लिए श्री कृष्ण की मूर्तियां तैयार कर रहे हैं।

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अलीगढ़ मूर्ति कारोबार के लिए भी अपनी पहचान बना रहा है। शहर के मूर्तिकार महीनों से श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी में जुटे हैं। खास बात यह है कि इस हिंदू पर्व में मुस्लिम कारीगर भी उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं। लड्डू गोपाल की पीतल की मूर्तियां बनाने में मुस्लिम कारीगरों का योगदान कारोबार को बढ़ावा दे रहा है।

मूर्ति कारोबारी कपिल गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है, और इस दौरान लड्डू गोपाल की मूर्तियों की मांग सबसे ज्यादा होती है। उनका परिवार सौ साल से अधिक समय से इस कारोबार में है, और अब न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी ऑर्डर आ रहे हैं।

उन्होंने कहा, यह एक हस्तशिल्प है, जिसमें कुशल हाथों की जरूरत होती है। इस काम में हिंदू, मुस्लिम और सिख कारीगर एक साथ मिलकर मूर्तियां तैयार करते हैं। खासकर मुस्लिम कारीगरों का योगदान इस पर्व को और भी खास बनाता है। मूर्तियों को बनाना, सजाना और बेचना, यह सभी समुदायों के सहयोग से संभव हो पाता है, जो अलीगढ़ की सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है।

मूर्तियां तैयार करने वाले कारीगर अकील खान ने बताया कि वे 25 साल से इस काम में हैं और पीतल की मूर्तियों पर वेल्डिंग का काम करते हैं। उन्होंने कहा, जन्माष्टमी के लिए लड्डू गोपाल की मूर्तियां बनाना उन्हें बहुत अच्छा लगता है। कई मुस्लिम भाई इस कारोबार में लगे हैं, और यह उनकी रोजी-रोटी का साधन है। हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग, बिना किसी भेदभाव के एक साथ मिलकर काम करते हैं।

अकील ने बताया कि उन्हें इस काम में गर्व महसूस होता, क्योंकि इससे उनका परिवार चलता है और उनके बच्चे भी यही काम सीख रहे हैं। जन्माष्टमी के इस पर्व में मूर्तियां बनाकर वे न केवल अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी बनाए रखते हैं।

--आईएएनएस

एससीएच/एएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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