एआई जेनरेटेड डीपफेक फोटो और वीडियो से निजात तय, ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चर्स ने बनाया नया डिवाइस

एआई जेनरेटेड डीपफेक फोटो और वीडियो से निजात तय, ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चर्स ने बनाया नया डिवाइस

एआई जेनरेटेड डीपफेक फोटो और वीडियो से निजात तय, ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चर्स ने बनाया नया डिवाइस

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IANS
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Humans unable to reliably detect deepfake speech: Study

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मेलबर्न, 10 नवंबर (आईएएनएस)। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के आने के बाद से दुनिया में डीपफेक के काफी मामले देखने को मिल रहे हैं। डीपफेक के मामले में एआई का गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा है। इसी सिलसिले में ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ने ऑस्ट्रेलियाई संघीय पुलिस (एएफपी) के साथ मिलकर एक खोज की है।

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न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, मोनाश यूनिवर्सिटी के रिसर्चर एएफपी के साथ मिलकर डीपफेक से निपटने के लिए एक नया डिवाइस बना रहे हैं। सोमवार को जारी मोनाश विश्वविद्यालय के एक बयान के अनुसार, यह नया उपकरण एआई की मदद से बनाई गई चाइल्ड अब्यूज मटेरियल, डीपफेक फोटो और वीडियो आदि के निर्माण को धीमा कर सकता है और अपराधियों को रोक सकता है।

एएफपी और मोनाश विश्वविद्यालय के बीच सहयोग से बने एआई फॉर लॉ एन्फोर्समेंट एंड कम्युनिटी सेफ्टी (एआईएलईसीएस) लैब के अनुसार, इसे डेटा पॉइजनिंग के रूप में जाना जाता है। इसमें डेटा में सूक्ष्म परिवर्तन किया जाता है, जिससे एआई प्रोग्राम का उपयोग करके फोटो या वीडियो का प्रोडक्शन, हेरफेर और दुरुपयोग करना काफी मुश्किल हो जाता है।

एआई और मशीन लर्निंग डिवाइस बड़े ऑनलाइन डेटासेट पर निर्भर करते हैं। रिसर्चर्स का कहना है कि इस डेटा के साथ छेड़छाड़ या हेरफेर की जाएगी, तो इस डिवाइस से गलत परिणाम मिलेगा। इससे अपराधियों द्वारा बनाई गई फर्जी तस्वीरों या वीडियो को पहचानना आसान हो सकता है। इसकी वजह से जांचकर्ताओं को नकली सामग्री की पहचान कर उसपर रोक लगाने में मदद मिल सकती है।

इस एआई डिसरप्टर डिवाइस का नाम सिल्वरर है। अपने प्रोटोटाइप चरण में सिल्वरर का उद्देश्य ऐसी तकनीक का विकास करना और उसे बेहतर बनाना है जो आम आस्ट्रेलियाई लोगों के लिए उपयोग में आसान हो। जो लोग सोशल मीडिया पर अपने डेटा को सेक्योर रखना चाहते हैं, उन्हें इसमें मदद मिले।

एआईएलईसीएस शोधकर्ता और परियोजना प्रमुख, मोनाश पीएचडी उम्मीदवार एलिजाबेथ पेरी ने कहा, कोई व्यक्ति सोशल मीडिया या इंटरनेट पर तस्वीरें अपलोड करने से पहले, सिल्वरर का उपयोग करके उन्हें संशोधित कर सकता है। इससे एआई मॉडल को धोखा देने के लिए पिक्सल में बदलाव किया जाएगा और परिणामस्वरूप बनने वाली तस्वीरें बहुत कम गुणवत्ता वाली, धुंधली पैटर्न वाली या पूरी तरह से पहचानने योग्य नहीं होंगी।

एएफपी ने एआई से बने चाइल्ड अब्यूज कंटेंट में वृद्धि की सूचना दी। डिजिटल फोरेंसिक विशेषज्ञ और एआईएलईसीएस के सह-निदेशक कैंपबेल विल्सन के अनुसार, इसे अपराधी ओपन-सोर्स तकनीक का उपयोग करके आसानी से बना और वितरित कर सकते हैं।

--आईएएनएस

केके/एबीएम

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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