विवेक रंजन अग्निहोत्री ने आरएसएस को बताया महान, बोले, ‘100 साल तक निस्वार्थ सेवा अनोखी मिसाल’

विवेक रंजन अग्निहोत्री ने आरएसएस को बताया महान, बोले, ‘100 साल तक निस्वार्थ सेवा अनोखी मिसाल’

विवेक रंजन अग्निहोत्री ने आरएसएस को बताया महान, बोले, ‘100 साल तक निस्वार्थ सेवा अनोखी मिसाल’

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IANS
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Vivek Agnihotri to finish script of 'The Kashmir Files' in Himalayas,Vivek Ranjan Agnihotri,Vivek Agnihotri

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को स्थापित हुए 100 वर्ष पूरे हो गए हैं। शताब्दी वर्ष के अवसर पर दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज’ विषय पर तीन दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया है।

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इस कार्यक्रम में बुधवार को फिल्मकार विवेक रंजन अग्निहोत्री सहित खेल जगत की कई बड़ी हस्तियों ने हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने अपने विचार भी साझा किए।

विवेक रंजन अग्निहोत्री ने आईएएनएस से कहा, संघ ने देश के युवाओं को भारत की सभ्यता और संस्कृति से जोड़े रखने का काम किया है। आपदाओं और विपदाओं में लोगों की सेवा की है। ऐसा संघ 100 साल पूरा कर रहा है, ये हमारे लिए खुशी का मौका है। मोहन भागवत जी बहुत अच्छे लीडर और वक्ता हैं, मैं उन्हें सुनने आया हूं। 100 साल तो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। 100 साल तक देश की सेवा करना इससे बड़ा महान काम क्या हो सकता है।

वहीं, रेसलिंग कोच सतपाल सिंह ने कहा कि देश के लिए युवाओं में जज्बा होना चाहिए। खासकर खेलों में उन्हें देश का नाम रोशन करने के लिए और मेहनत करनी चाहिए। उन्होंने युवाओं को नशे से दूर रहने का भी संदेश दिया।

पैरा एथलीट दीपा मलिक ने कहा कि सबके अंदर राष्ट्र सेवा प्रथम की भावना होनी चाहिए। हर नागरिक का दायित्व बनता है कि वो देश के निर्माण में योगदान दे और सच्ची देशभक्ति दिखाए। अलग-अलग राज्य और भाषाओं के होने के बावजूद भावना केवल एक ही होनी चाहिए।

बता दें कि नई दिल्ली के विज्ञान भवन में तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के व्याख्यानमाला कार्यक्रम ‘100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज’ का आयोजन हो रहा है। इस कार्यक्रम के दूसरे दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बुधवार को व्याख्यान दिया।

मोहन भागवत ने कहा, नेक या सज्जन लोगों से दोस्ती करें, उन लोगों को नजरअंदाज करें, जो नेक काम नहीं करते। अच्छे कामों की सराहना करें, भले ही वे विरोधियों द्वारा किए गए हों। गलत काम करने वालों के प्रति क्रूरता नहीं, बल्कि करुणा दिखाएं।

उन्होंने कहा कि सच्चा धर्म वह है जो आरंभ, मध्य और अंत में सभी को हमेशा सुख प्रदान करे। जहां दुख उत्पन्न होता है, वह धर्म नहीं है। धर्म त्याग की मांग करता है और धर्म की रक्षा करके हम सभी की रक्षा करते हैं और सृष्टि में सद्भाव सुनिश्चित करते हैं।

--आईएएनएस

जेपी/एबीएम

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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