सहकारी बैंक ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों-सखी मंडलों को ऋण देने की प्रक्रिया में लाएं तेजी : सीएम भूपेंद्र पटेल

सहकारी बैंक ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों-सखी मंडलों को ऋण देने की प्रक्रिया में लाएं तेजी : सीएम भूपेंद्र पटेल

सहकारी बैंक ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों-सखी मंडलों को ऋण देने की प्रक्रिया में लाएं तेजी : सीएम भूपेंद्र पटेल

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IANS
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Gandhinagar: Felicitatation Ceremony For Newly Elected Panchayat Members

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

गांधीनगर, 8 जुलाई (आईएएनएस)। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य के सहकारी बैंकों से ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों एवं सखी मंडलों को ऋण उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को सुगम एवं तीव्र बनाने का अनुरोध किया है। उन्होंने गांधीनगर में सहकारी बैंकों के अध्यक्षों एवं गुजरात आजीविका संवर्धन कंपनी तथा महिला एवं बाल विकास, ग्रामीण विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए यह अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वयं सहायता समूहों की बहनों को आत्मनिर्भर बनाने का जो निर्णय लिया गया है, उसे अधिक से अधिक ऋण से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि स्वयं सहायता समूह छोटे व्यवसाय-रोजगार समूह हैं, जिन्हें सहकारी बैंक जितना अधिक ऋण उपलब्ध कराएंगे, स्वयं सहायता समूह उतना ही बेहतर कार्य कर सकेंगे।

राज्य में कुल 2.84 लाख ग्रामीण स्वयं सहायता समूह कार्यरत हैं, जिनमें 1.76 लाख कृषि, 16,608 विनिर्माण और व्यापार तथा 6,973 अन्य आजीविका गतिविधियों से जुड़े हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत केंद्र और राज्य सरकार ने इन स्वयं सहायता समूहों को 20 लाख रुपए तक का ऋण देने का प्रावधान किया है।

राज्य सरकार की गुजरात लाइवलीहुड प्रमोशन कंपनी ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों को इस उद्देश्य के लिए ऋण और ऋण प्राप्त करने में मदद करती है।

केंद्र सरकार ने इस वर्ष 2025-26 में 88,200 स्वयं सहायता समूहों को 1,240 करोड़ रुपए का ऋण देने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 13,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को ऋण दिया जा चुका है, ऐसा इस समीक्षा बैठक में प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया गया।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों को आसानी से और शीघ्र ऋण मिले इस पर चिंता व्यक्त करते हुए सहकारी बैंकों को जिला स्तर पर ऐसे ऋण क्रेडिट शिविर आयोजित करने के निर्देश भी दिए।

इतना ही नहीं, उन्होंने राज्य सरकार के संबंधित विभागों से आग्रह किया कि वे ऐसे शिविरों में प्राप्त आवेदनों की त्वरित जांच से लेकर ऋण दिलाने की प्रक्रिया को तेज करें तथा स्वयं सहायता समूहों के प्रति उदारता बरतते हुए एक भी अनावश्यक आवेदन को स्वीकृत न करें। बैठक में इस बात पर भी प्रारंभिक चर्चा हुई कि इसके लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है।

मुख्यमंत्री ने सहकारी बैंकों के अध्यक्षों, एमडी और पदाधिकारियों से विशेष रूप से आग्रह किया कि बहनों को ऋण दिलाने के बारे में समझाते हुए क्लस्टर स्तर पर उचित प्रशिक्षण के लिए कार्यशाला शिविर आयोजित करना आवश्यक है। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपनी आर्थिक कमाई से परिवार का सहारा बनी रहती हैं, इसलिए यदि उन्हें ऐसे ऋण दिए जाते हैं तो उनके द्वारा पुनर्भुगतान का आश्वासन मिलता है, इसलिए सहकारी बैंकों को एनपीए के बारे में संदेह करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने बैठक में यह भी सुझाव दिया कि सहकारी बैंकों के अध्यक्षों और राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों के बीच ऐसी समीक्षा बैठक ग्रामीण विकास मंत्री के स्तर पर हर तीन महीने में नियमित रूप से आयोजित की जानी चाहिए। सहकारिता राज्य मंत्री जगदीश विश्वकर्मा ने बैंकों के अध्यक्षों को एनआरएलएम मिशन के उद्देश्यों को शीघ्र पूरा करने में सहयोग करने के लिए सुझाव दिए।

--आईएएनएस

डीकेपी/एबीएम

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