मक्के का उत्पादन 2047 तक दोगुना कर 86 मिलियन टन से अधिक करना भारत का लक्ष्य : शिवराज सिंह चौहान

मक्के का उत्पादन 2047 तक दोगुना कर 86 मिलियन टन से अधिक करना भारत का लक्ष्य : शिवराज सिंह चौहान

मक्के का उत्पादन 2047 तक दोगुना कर 86 मिलियन टन से अधिक करना भारत का लक्ष्य : शिवराज सिंह चौहान

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IANS
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New Delhi: Shivraj Singh Chouhan Addresses 11th India Maize Summit 2025

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि कृषि आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान अर्थव्यवस्था की आत्मा हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी नीति देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के साथ, किसानों की आमदनी को बढ़ाना और खेती को लाभकारी बनाना है।

फिक्की द्वारा आयोजित 11वें मक्का सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 90 के दशक में मक्के का उत्पादन 10 मिलियन टन था, जो कि बढ़कर लगभग 42.3 मिलियन टन तक पहुंच चुका है। वहीं, विकसित भारत के संकल्प के साथ मक्के का उत्पादन 2047 तक बढ़कर 86.10 मिलियन टन तक पहुंच सकता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में औसत मक्का उत्पादन 3.7 टन प्रति हेक्टेयर है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में मक्का उत्पादन राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है, जिसे समग्र रूप से अधिक बढ़ाए जाने की जरूरत है।

मक्के के उत्पादन में नए रिकॉर्ड स्थापित करने वाले किसानों को सम्मानित करते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं इन किसानों को बधाई देता हूं।

उन्होंने कहा कि किसानों को वैज्ञानिकों से जोड़ने के लिए हमने विकसित कृषि संकल्प अभियान के माध्यम से वैज्ञानिकों को किसानों के बीच भेजने के साथ लैब को लैंड से जोड़ने का काम किया।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस अभियान के तहत करीब 11 हजार वैज्ञानिक 60 हजार से ज्यादा गांवों में पहुंचे। हमने देखा कि उत्पादन खेत में बढ़ता है और वैज्ञानिक लैब में काम कर रहे हैं। किसान अलग काम कर रहा था, वैज्ञानिक अलग काम कर रहा था। हमने तय किया कि लैब और लैंड की दूरी को खत्म कर इन्हें जोड़ने का काम किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा, मक्का तीसरी सबसे बड़ी फसल बन गई है, हालांकि उत्पादन के मामले में भारत को लगातार आगे आने के प्रयास करने होंगे। स्टार्च कम होने के कारण कई तरह के रिसर्च की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि सकारात्मकर प्रयासों के साथ देश में मक्के का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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