मदुरै, 10 जुलाई (आईएएनएस)। मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) पोन मनिकवेल के खिलाफ दर्ज मामले में सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह मदुरै जिला अदालत में दायर आरोपपत्र की एक प्रति प्रस्तुत करे।
यह आदेश पोन मनिकवेल की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की थी।
सुनवाई 16 जुलाई तक स्थगित कर दी गई है। इस मामले की शुरुआत तब हुई, जब सेवानिवृत्त डीएसपी कादर बाशा ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि पोन मनिकवेल ने व्यक्तिगत दुर्भावना के चलते उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया।
कादर बाशा ने कोर्ट से इसकी जांच करने और पोन मनिकवेल के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने सीबीआई को प्रारंभिक जांच का आदेश दिया, जिसके बाद अगस्त 2024 में सीबीआई ने मदुरै जिला अतिरिक्त सत्र न्यायालय में एक प्रारंभिक आरोपपत्र दायर किया।
पोन मनिकवेल ने निचली अदालत में याचिका दायर कर इस आरोपपत्र की प्रति मांगी, लेकिन अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि प्राथमिकी के अलावा अन्य दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जा सकते।
मनिकवेल ने इसे अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ मामले में पर्याप्त विवरण और दस्तावेजों का अभाव है। इसके बाद, उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामले को रद्द करने की मांग की। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान एकल न्यायाधीश ने मुकदमे की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी थी। सीबीआई ने इस रोक को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसने रोक हटा दी, लेकिन मनिकवेल को उचित राहत के लिए संबंधित अदालत में जाने की अनुमति दी।
इसके बाद मामला न्यायमूर्ति मंजुला की अदालत में पहुंचा, जहां सुनवाई के दौरान सीबीआई ने बताया कि 16 जून 2025 को मदुरै जिला अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है।
वहीं, मनिकवेल के वकील ने दलील दी कि उन्हें आरोपपत्र दाखिल होने की सूचना नहीं दी गई और न ही इसकी प्रति उपलब्ध कराई गई। इस पर न्यायमूर्ति मंजुला ने सीबीआई को आरोपपत्र की प्रति सौंपने का आदेश दिया और सुनवाई को 16 जुलाई तक टाल दिया।
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