जनप्रतिनिधियों का पहला कर्तव्य राष्ट्रहित और जनकल्याण होना चाहिए : सीएम रेखा गुप्ता

जनप्रतिनिधियों का पहला कर्तव्य राष्ट्रहित और जनकल्याण होना चाहिए : सीएम रेखा गुप्ता

जनप्रतिनिधियों का पहला कर्तव्य राष्ट्रहित और जनकल्याण होना चाहिए : सीएम रेखा गुप्ता

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IANS
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जनप्रतिनिधियों का पहला कर्तव्य राष्ट्रहित और जनकल्याण होना चाहिए : सीएम रेखा गुप्ता

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को दिल्ली विधानसभा में आयोजित अखिल भारतीय अध्यक्ष सम्मेलन के समापन सत्र में देशभक्ति और जनकल्याण को लेकर बेहद भावपूर्ण और सशक्त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि हर जनप्रतिनिधि का सर्वोपरि कर्तव्य राष्ट्र और जनता के हित में कार्य करना होना चाहिए, न कि केवल राजनीतिक स्वार्थ के लिए।

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मुख्यमंत्री ने कहा, भारत के लोकतंत्र की नींव त्याग और संघर्ष पर टिकी है। आज जब हमें एक स्वतंत्र राष्ट्र में संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं के अंतर्गत कार्य करने का अवसर मिला है, तो यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस आजादी की गरिमा को और सशक्त करें।

सीएम रेखा गुप्ता ने लोकतंत्र में विचारों की विविधता को आवश्यक बताया, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय हित और जनकल्याण जैसे मुद्दों पर सभी राजनीतिक दलों को एकजुट रहना चाहिए। उन्होंने कहा, राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जब बात देश की हो, तो हम सभी को एक सुर में बोलना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का गर्मजोशी से स्वागत किया और सम्मेलन में देशभर से आए स्पीकर्स एवं डिप्टी स्पीकर्स की भागीदारी को लोकतंत्र की मजबूती के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया। विशेष रूप से महिला स्पीकर्स और डिप्टी स्पीकर्स की भागीदारी को उन्होंने प्रेरणादायक बताया।

रेखा गुप्ता ने भारत की पहली केंद्रीय विधायिका की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के मौके को देश के लोकतांत्रिक सफर की असली शुरुआत करार दिया। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका बलिदान हमें याद दिलाता है कि आजादी का मूल्य क्या है।

मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी विट्ठलभाई पटेल का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी लोकतांत्रिक आदर्शों और संसदीय मर्यादा का पालन किया, जिससे आज के जनप्रतिनिधियों को सीख लेनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने भारत की आजादी की 100वीं वर्षगांठ (2047) की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह समय नव संकल्प और ऊर्जा का है।

उन्होंने कहा, जनता की आकांक्षाओं को पूरा करना ही सबसे बड़ा राष्ट्रीय धर्म है। प्रत्येक जनप्रतिनिधि को यह याद रखना चाहिए कि उनका कर्तव्य सबसे पहले राष्ट्र के प्रति है, फिर पार्टी और अंत में स्वयं के लिए।

--आईएएनएस

वीकेयू/डीकेपी

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