फासीवाद की हार का 80वां साल: शांति की कीमत और भविष्य की राह

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फासीवाद की हार का 80वां साल: शांति की कीमत और भविष्य की राह

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IANS
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फासीवाद की हार का 80वां साल: शांति की कीमत और भविष्य की राह

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

बीजिंग, 6 सितंबर (आईएएनएस)। हम उस ऐतिहासिक पल को याद कर रहे हैं जो दुनिया को शांति का तोहफा दे गया। यह साल द्वितीय विश्व युद्ध में फासीवाद की हार का 80वां साल है। इस खास मौके पर आइए उस युद्ध की कहानी को दोबारा देखते हैं और समझते हैं कि शांति कितनी कीमती है और आगे क्या करना चाहिए।

कौन सा युद्ध और कैसे हुई जीत?

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द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) को ही विश्व एंटी-फासीवादी युद्ध कहा जाता है। इसमें जर्मनी, इटली और जापान जैसे फासीवादी देशों (धुरी राष्ट्र) का मुकाबला मित्र राष्ट्रों फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ने किया। ये युद्ध 2 सितंबर 1945 को जापान के आत्मसमर्पण तक चला।

मारे गए 50-70 मिलियन लोग

ये युद्ध इतिहास का सबसे बड़ा संघर्ष था जिसमें करीब 100 मिलियन सैनिक लड़े और दुनिया की आबादी के 3 प्रतिशत यानी 50-70 मिलियन लोग मारे गए। ये सब याद करके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं, लेकिन इसी पीड़ा ने दुनिया को शांति का रास्ता दिखाया।

इंसाफ ने बुराई को हराया

80 साल पहले इंसाफ ने बुराई को हराया और दुनिया फिर से शांति की राह पर आई। इस युद्ध ने हमें सिखाया कि विनाश, भुखमरी और बिछड़ने का दर्द कितना गहरा होता है। यही वजह है कि 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई ताकि भविष्य में ऐसे संघर्ष न हों और देश एक साथ मिलकर काम करें।

ये 80वां साल हमें प्रेरणा देता है कि शांति को संजोएं और विकास को बढ़ावा दें।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

(लेखक- डी के)

--आईएएनएस

एएस/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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