/newsnation/media/media_files/thumbnails/202510093535470-303459.jpeg)
(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। दीपावली की रात जब जलते दीप अंधकार मिटाते हैं तो ठीक उसी समय कुछ घरों में एक और परंपरा निभाई जाती है। मिट्टी के गमले में धनिया के बीज डाले जाते हैं। देखने में साधारण लगने वाली यह रस्म वास्तव में समृद्धि से जुड़ी एक गहरी परंपरा है।
धनिया शब्द ही संस्कृत के ‘धान्यकम्’ से बना है। जिसका अर्थ ही है अनाज या फसल। चिकित्सा ग्रंथों में इसे अन्न, औषधि और शुभता का प्रतीक माना गया है। धनतेरस के दिन जब लोग नया बर्तन, सोना या झाड़ू खरीदते हैं, उसी दिन धनिया दाना भी खरीदा जाता है। कहा जाता है जैसे धनिया अंकुरित होता है, वैसे ही घर में धन और सौभाग्य बढ़ता है।
बीज बोना, विशेषकर शुभ मुहूर्त में, जीवन में नई शुरुआत और निरंतरता का प्रतीक है। दिवाली की रात देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा के बाद गमले में धनिया डालना एक प्रतीकात्मक कर्म है। मिट्टी धरती मां का प्रतीक है तो बीज संभावना का और अंकुरण उन्नति और शुभ फल का संकेत देता है।
इस कर्म को करने से व्यक्ति अपने घर में अन्न, धन और स्वास्थ्य की निरंतरता की कामना करता है। लोकश्रुति के अनुसार जो व्यक्ति दीवाली की रात गमले में धनिया डालकर अगले सुबह जल अर्पित करता है, उसके घर “धन की धारा” बनी रहती है।
यह परंपरा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी सुंदर है। धनिया एक औषधीय पौधा है। यह हवा शुद्ध करता है, शरीर को ठंडक देता है और भोजन का स्वाद बढ़ाता है। मौसम तेजी से बदल रहा है। बदलाव का असर हमारे पाचनतंत्र पर पड़ता है और ऐसे वक्त में ही धनिया की कीमत का अंदाजा लगाया जाता है। धनिया प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युनिटी) को मजबूत करने, मौसमी बीमारियों से बचाव , पाचन को बेहतर बनाने और त्वचा के लिए लाभकारी होता है। इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और अन्य पोषक तत्व संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल फेंकते हैं।
--आईएएनएस
केआर/
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.