विश्व बाल श्रम निषेध दिवस : नन्हें-मुन्नों को समर्पित दिन, बेहद खास इस साल की थीम

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस : नन्हें-मुन्नों को समर्पित दिन, बेहद खास इस साल की थीम

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस : नन्हें-मुन्नों को समर्पित दिन, बेहद खास इस साल की थीम

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IANS
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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। नन्हें-मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है... गाने की आगे की लाइन कहती है मुट्ठी में है तकदीर हमारी... लेकिन, बाल श्रम की चपेट में आकर इन नन्हें-मुन्नों की तकदीर तो क्या, पूरी जिंदगी ही गर्त में चली जाती है। हालांकि, इन बच्चों के भविष्य को अंधकार से निकालकर संवारने की ओर एक बड़ा कदम बाल श्रम निषेध दिवस है।

दुनिया को जागरूक करने, बाल श्रम की समस्या को उजागर करने और इसे खत्म करने के लिए वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने साल 2002 में इस दिन की शुरुआत की थी, ताकि बच्चों को शोषण से बचाया जा सके और उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और खुशहाल बचपन का अधिकार मिल सके। यह दिन सरकारों, संगठनों और लोगों से बाल श्रम के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान करता है।

इस साल का फोकस बाल श्रम खत्म करने के वैश्विक लक्ष्य की प्रगति को जांचने और इसे तेज करने पर है।

यूनिसेफ के अनुसार, साल 2020 की शुरुआत में लगभग 160 मिलियन बच्चे बाल श्रम में लगे थे। दुनिया भर में लगभग 10 में से 1 बच्चा बाल श्रम में लिप्त है। उनमें से लगभग आधे खतरनाक काम में लगे हुए हैं, जो सीधे उनके स्वास्थ्य और विकास को खतरे में डालते हैं। बाल श्रम में लगे लगभग 79 मिलियन बच्चे खतरनाक काम करते हैं, जो सीधे तौर पर उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को खतरे में डालता है। विश्व स्तर पर, बाल श्रम ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक आम है तथा अधिकांश बाल श्रम कृषि क्षेत्र में होता है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, साल 2025 का यह दिन खास है, क्योंकि आईएलओ और यूनिसेफ मिलकर एक रिपोर्ट जारी करेंगे, जिसमें दुनियाभर में बाल श्रम की स्थिति का जायजा होगा। यह रिपोर्ट बताएगी कि वो लक्ष्यों से कितने करीब या दूर हैं और इसके आधार पर नई नीतियों और निवेश की जरूरत होगी।

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2025 की थीम है, प्रगति स्पष्ट है, लेकिन अभी और काम बाकी है, आइए प्रयासों को तेज करें!

बाल श्रम को खत्म करने में दुनिया ने कुछ प्रगति की है, जैसे कि बच्चों को काम से हटाकर स्कूल भेजने और उनके लिए बेहतर कानून बनाने में। लेकिन, यह काफी नहीं है। अभी भी बहुत सारे बच्चे ऐसे काम कर रहे हैं, जो उनके लिए सही नहीं हैं।

थीम कहती है कि हमें अब और तेजी से काम करना होगा ताकि 2025 तक हर बच्चा बाल श्रम की जकड़ से मुक्त हो और उसे पढ़ाई, खेल और खुशहाल बचपन मिल सके। यह सभी से मिलकर और मेहनत करने की अपील है।

इस दिन आईएलओ दो महत्वपूर्ण नियमों पर जोर देता है। पहला कन्वेंशन नंबर 138, जो बच्चों के लिए काम की न्यूनतम उम्र तय करता है और दूसरा कन्वेंशन नंबर 182, जो बाल श्रम की सबसे खराब स्थितियों, जैसे बच्चों के प्रति खतरनाक काम को रोकता है। आईएलओ बताता है कि इन नियमों को सभी देशों में लागू करना जरूरी है।

साल 2022 के ‘डरबन कॉल टू एक्शन’ ने भी बाल श्रम रोकने के लिए मजबूत कदम, सुरक्षा और सहयोग की बात कही थी।

आईएलओ का कहना है कि अब समय है कि बाल श्रम को पूरी तरह खत्म करने के लिए कदम उठाए जाएं। इसके लिए सरकारें, मजदूर संगठन, नागरिक समूह और अंतरराष्ट्रीय साझेदार मिलकर काम कर रहे हैं। वे गरीबी, शिक्षा की कमी और बेरोजगारी जैसे बाल श्रम के कारणों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। सामाजिक सुरक्षा, बेहतर स्कूल और नौकरियां जरूरी साधन की तरह हैं।

--आईएएनएस

एमटी/एबीएम

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