असम : ब्रह्मपुत्र का जलस्तर बढ़ने से जनजीवन प्रभावित, स्थानीय लोगों के सामने भोजन-पानी की चुनौती

असम : ब्रह्मपुत्र का जलस्तर बढ़ने से जनजीवन प्रभावित, स्थानीय लोगों के सामने भोजन-पानी की चुनौती

असम : ब्रह्मपुत्र का जलस्तर बढ़ने से जनजीवन प्रभावित, स्थानीय लोगों के सामने भोजन-पानी की चुनौती

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IANS
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असम : ब्रह्मपुत्र का जलस्तर बढ़ने से जनजीवन प्रभावित, स्थानीय लोगों के सामने भोजन-पानी की चुनौती

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

गुवाहाटी, 29 जून (आईएएनएस)। असम में ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर बढ़ने से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। यहां पिछले तीन-चार दिनों से ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर बढ़ रहा है, जिससे नदी किनारे बसे इलाकों में पानी घुस गया है। इससे स्थानीय लोगों को बहुत परेशानी हो रही है और उनकी दिनचर्या पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी है।

नदी का जलस्तर बढ़ने से प्रभावित लोगों ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि कई बीघा खेती की जमीन नदी के पानी की वजह से प्रभावित हुई है, जिससे न केवल उनकी उगाई गई सब्जियों और फसलों को नुकसान हुआ है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था करना भी एक चुनौती बन गई है।

डिब्रूगढ़, जोरहाट, माजुली और कामरूप जिलों के पानीखैती, राजाबारी इलाकों में ब्रह्मपुत्र नदी का पानी घुसने के कारण सैकड़ों हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। स्थानीय लोगों के अनुसार, ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर 3-4 दिनों से जिस तरह बढ़ रहा है, अगर अगले दो दिन भी ऐसा रहा तो उससे उनका गांव भी जलमग्न हो जाएगा। फिलहाल कृषि भूमि जलमग्न हो चुकी है।

स्थानीय निवासी बिरेन खाकलारी ने पानीखैती राजाबारी इलाके की जानकारी देते हुए कहा कि यहां बहुत दिन से पानी नहीं आ रहा था। लेकिन पिछले दो दिन में ही यहां चार फीट तक पानी भर गया है। यह खेती का क्षेत्र है। करीब 500 बीघा क्षेत्र में पानी भर गया है, जिससे सब्जियां और धान की फसलें बर्बाद हो गई हैं। स्थिति यहां बहुत खराब है। अगर पानी ज्यादा भरा तो हालत बहुत खराब हो जाएंगे। यहां रहने की समस्या भी बनी हुई है। साथ ही भोजन की व्यवस्था करना चुनौतीपूर्ण है। पानी ज्यादा भरने पर बिजली काट दी जाती है। पीने का पानी उपलब्ध नहीं हो पाता। इसके लिए हमें बाहर से नाव के जरिए जाकर पीने के पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है।

एक और स्थानीय बलराम दास ने कहा कि पानी भरने से भोजन जुटाना बहुत मुश्किल हो गया है। हम लोग केवल मछली मारकर ही अपने लिए भोजन की व्यवस्था कर पा रहे हैं।

एक और स्थानीय तरुण खाकलारी ने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से पानी भर रहा है। उनकी कई बीघा खेती भूमि में पानी भर गया है। वह भोजन-पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। रहने की चुनौती से भी जूझ रहे हैं। कई बार उनको अपनी नौका में भी रुकना पड़ता है और वहीं रहना पड़ता है।

--आईएएनएस

एएस/

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