/newsnation/media/media_files/thumbnails/202512223615966-638726.jpeg)
(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। आयुर्वेद में अरंडी (कैस्टर) को एक खास जड़ी-बूटी माना गया है, जिसे वात रोगों का यमराज कहा जाता है। यह सिर्फ एक पौधा नहीं, बल्कि शरीर की गहरी सफाई करने वाला नेचुरल डिटॉक्स मास्टर है। इसमें छीपे गुण किसी वरदान से कम नहीं हैं।
अरंडी का तेल और पत्तियां मुख्य रूप से वात दोष नाशक, पाचन अग्नि बढ़ाने, शोथहर और मृदु विरेचक औषधि मानी जाती हैं। इसका रस मधुर और क्षय है, और गुण स्निग्ध और गुरु हैं, जबकि वीर्य उष्ण होता है। खास बात यह है कि यह शरीर के सूक्ष्म छिद्रों तक पहुंच सकता है, जहां दूसरी दवाएं इतना असर नहीं करतीं, इसलिए यह जोड़ों के दर्द, गठिया, सायटिका, कब्ज और अन्य वात विकारों में बेहद उपयोगी है।
अरंडी के तेल में रिसिनोलिक एसिड होता है, जो आंतों की गति तेज करता है और कब्ज को दूर करता है। इसके अलावा, जोड़ों की मालिश करने से सूजन कम होती है और रूमेटोइड अर्थराइटिस या साइटिका में भी लाभ मिलता है। त्वचा और बालों के लिए भी यह वरदान है, क्योंकि यह प्राकृतिक ह्यूमेक्टेंट की तरह काम करता है, नमी खींचकर त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है और बालों को मजबूत बनाता है।
माइग्रेन या पुराने सिरदर्द में ताजे पत्तों का पेस्ट माथे और कनपटी पर लगाने से नसों की सूजन कम होती है और दर्द में राहत मिलती है। बालों के लिए नारियल तेल के साथ मिलाकर जड़ों में लगाना नए बाल उगाने में मदद करता है।
इसके सही उपयोग के लिए रात को गर्म दूध में 1-2 चम्मच तेल मिलाकर पीना या जोड़ों की सूजन पर पत्तों का लेप लगाना फायदेमंद है।
हालांकि, अरंडी बहुत शक्तिशाली है। इसे सावधानी से इस्तेमाल करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं और बच्चों को इसके सेवन से बचना चाहिए। ज्यादा सेवन से दस्त और डिहाइड्रेशन हो सकता है। इसका उपयोग करने से पहले योग्य आयुर्वेदाचार्य से सलाह जरूर ले लें।
--आईएएनएस
पीआईएम/डीकेपी
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
/newsnation/media/agency_attachments/logo-webp.webp)
Follow Us