50 साल बाद भी ‘संविधान’ को कूड़ेदान में फेंकने की आदत से बाहर नहीं निकल पाया विपक्ष: सुधांशु त्रिवेदी

50 साल बाद भी ‘संविधान’ को कूड़ेदान में फेंकने की आदत से बाहर नहीं निकल पाया विपक्ष: सुधांशु त्रिवेदी

50 साल बाद भी ‘संविधान’ को कूड़ेदान में फेंकने की आदत से बाहर नहीं निकल पाया विपक्ष: सुधांशु त्रिवेदी

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IANS
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50 साल बाद भी ‘संविधान’ को कूड़ेदान में फेंकने की पुरानी आदत से बाहर नहीं आ पाया विपक्ष : सुधांशु त्रिवेदी

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस)। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने बिहार में नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधा। उन्होंने तेजस्वी के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि वह कहते हैं कि संसद के कानून को (वक्फ बोर्ड कानून) कूड़ेदान में फेंक देंगे।

भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, अभी हाल ही में हमने भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे दुर्दांत काले अध्याय आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण किए। लेकिन, बड़े दुख की बात है कि पटना के उसी गांधी मैदान में जहां आपातकाल के दौरान संविधान की रक्षा और संविधान के सम्मान के लिए जान की परवाह किए बिना लाखों लोग एकत्र हुए थे। वहां कल एक ऐसी रैली हुई, जिसमें इंडी गठबंधन के सहयोगी बिहार के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि संसद के कानून को (वक्फ बोर्ड कानून) कूड़ेदान में फेंक देंगे। जबकि यह कानून (वक्फ बोर्ड कानून) दोनों सदनों से पारित है और कोर्ट में विचाराधीन है। इसका अर्थ ये हुआ कि न संसद का सम्मान न न्यायपालिका का सम्मान। यह साफ है कि 50 साल बाद भी इंडी गठबंधन संविधान को कूड़ेदान में फेंकने की पुरानी आदत से बाहर नहीं आ पाया है।

उन्होंने आगे कहा, वोट बैंक की चाहत में इंडी गठबंधन के सहयोगी तेजस्वी यादव द्वारा जो कुछ बोला गया है, उससे साफ है कि ये संविधान को कूड़ेदान में फेंकने की मानसिकता से बाहर नहीं आ पा रहे हैं।

सुधांशु त्रिवेदी ने वक्फ का जिक्र करते हुए कहा, मैं यह बताना चाहता हूं कि कुरान में ‘वक्फ’ जैसा कोई शब्द नहीं है। यह मुल्लाओं और मौलवियों का बनाया शब्द है। इस्लाम आपको खर्च करना, देना सिखाता है, न कि रखना या जमा करना, और फिर भी, आप कहते हैं, “संग्रह करो”? यह बाबा साहेब के संविधान का मजाक उड़ाने के अलावा और कुछ नहीं है, इसे धर्मनिरपेक्ष दस्तावेज से मौलवियों की स्क्रिप्ट में बदलने की कोशिश है। इनका विचार संविधान की सीमा को तार-तार करना है। यह चंद मुट्ठी भर मुस्लिमों के साथ खड़े हैं, जो पैसों की ताकत रखते हैं। यह गरीब मुस्लिमों के साथ नहीं हैं। यह लोग जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर को नहीं मानते हैं। आज राजग और समाजवादी पार्टी जैसे दल नमाजवाद के साथ खड़े रहते हैं।

भाजपा सांसद ने कहा, अगर वे कभी सत्ता में आए तो यह संभव नहीं है, लेकिन वे बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को कूड़ेदान में फेंक देंगे और शरिया कानून लागू करेंगे। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है। याद रखें कि भारत में सरकार ने केवल एक बार 400 सीटें पार की हैं, वो भी 1985 में, और फिर क्या हुआ? शाहबानो मामले को देखें। उस 400 से ज्यादा की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कुचल दिया और शरिया कानून को संविधान से ऊपर रख दिया। वे पिछड़े, वांछित, का आरक्षण भी यह खत्म करना चाहते हैं।

उन्होंने जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में एससी/एसटी और ओबीसी आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया। भाजपा सांसद ने कहा, 2012 और 2014 में माइनॉरिटी संस्थाओं को दर्जा दिया गया। तेलंगाना और कर्नाटक में मुस्लिम को ओबीसी में शामिल किया गया है। बंगाल में भी यही हो रहा है। तर्क यह दिया गया कि यह मुस्लिम पहले ओबीसी हिंदू समुदाय से थे और बाद में यह कन्वर्ट हुए, इसलिए इन्हें ओबीसी में डाला गया है। इंडी गठबंधन के सपनों को हम साकार नहीं होने देंगे। देश का विधान बाबा साहेब के संविधान से चलेगा। कांग्रेस और राजद दोनों मिलकर बाबा साहेब के संविधान को खत्म करना चाहते हैं।

--आईएएनएस

एफएम/केआर

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