/newsnation/media/media_files/thumbnails/202510273554624-871791.jpeg)
(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। कभी-कभी एक हां वो काम नहीं कर पाती जो एक न से मुमकिन होता है। ऐसा ही दशकों पहले हुआ। दो देशों के बड़े नाम आमने-सामने थे। एक बहुत मजबूत था तो दूसरा थोड़ा कमजोर। लेकिन कहानी में यही ट्विस्ट है। कमजोर समझे जाने वाले देश ने न कहने की हिम्मत दिखाई और दुनिया में वाहवाही पाई। ये देश था ग्रीस और 28 अक्टूबर 1940 को उसके शासक ने इटली के तानाशाह को ओही (ओएक्सआई) यानी न कहने की हिम्मत दिखाई थी।
तभी से हर साल 28 अक्टूबर को ग्रीस ओही डे मनाता है, जो केवल इतिहास का नहीं बल्कि आत्मसम्मान और साहस का प्रतीक बन गया।
भोर होने वाली थी। करीब तीन बजे इटली का एक अल्टीमेटम ग्रीस के प्रधानमंत्री इओआनिस मेटाक्सस के पास पहुंचा। इसमें इटली ने ग्रीस से मांग की थी कि वह अपनी जमीन पर इटली की सेना को प्रवेश की अनुमति दे। लेकिन मेटाक्सस ने बिना झिझक जवाब दिया- “ओही!” यह एक शब्द न केवल एक नेता का जवाब था, बल्कि एक पूरे राष्ट्र की आवाज बन गया। कुछ ही घंटों में इटली ने ग्रीस पर हमला कर दिया और ग्रीको-इटालियन वॉर की शुरुआत हो गई। लगभग सात महीनों तक युद्ध चला। दोनों ओर से हजारों की संख्या में सैनिक मारे गए।
उस ऐतिहासिक पल से ग्रीस ने यह दिखा दिया कि उसकी आजादी बिकाऊ नहीं है। यही साहस आगे चलकर ग्रीक पहचान का हिस्सा बन गया। इसीलिए 28 अक्टूबर आज भी पूरे ग्रीस और साइप्रस में गर्व और राष्ट्रभक्ति के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
एथेंस और अन्य शहरों में इस दिन परेड, झंडारोहण, और बच्चों के मार्च-पास्ट आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में देशभक्ति गीत गाए जाते हैं, स्मारकों पर लोग पहुंचते हैं और ग्रीक होने पर सम्मानित महसूस करते हैं। सड़कों पर ओएक्सआई बड़े अक्षरों में लिखा दिखाई देता है -जो अब एक राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बन चुका है।
--आईएएनएस
केआर/
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
/newsnation/media/agency_attachments/logo-webp.webp)
Follow Us