पेरिस, 30 जुलाई (आईएएनएस)। 22 साल के सरबजोत सिंह ने मंगलवार को आईएएनएस से खास बातचीत में बताया कि उनको पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर काफी कुछ सीखने के लिए मिला है। उन्होंने पदक जीता, हालांकि वह अपने मैच से बहुत संतुष्ट नहीं हैं। सरबजोत के कोच अभिषेक सिंह ने भी आईएएनएस से बातचीत में एक शूटर के करियर में आने वाली चुनौतियों पर बात की।
सरबजोत ने कहा, इस मेडल के लिए मेरी यात्रा 8 साल से चल रही थी। मेरे लिए मेडल जीतना अच्छा रहा, लेकिन मैं मैच को लेकर संतुष्ट नहीं हूं क्योंकि मुझे तकनीकी मुद्दों का सामना करना पड़ा। मैं 2028 के ओलंपिक में इससे अच्छा प्रदर्शन करूंगा। गगन नारंग का भी इसी दिन कांस्य पदक आया था और मैंने भी इसी दिन अपना ब्रॉन्ज मेडल जीता। मुझे यहां से काफी कुछ सीखने के लिए मिला है, जैसे कि मानसिक तौर पर दबाव को कैसे हैंडल करना है।
अपने माता-पिता से बात करने के सवाल पर सरबजोत ने कहा कि अभी व्यस्तता के चलते उनकी परिवार से बात नहीं हुई है।
वहीं, सरबजोत के कोच अभिषेक राणा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, मैं पहले दिन से सरबजोत के साथ हूं। यह मेरे लिए खुशी का विषय है। हमारी अब तक की यात्रा काफी अच्छी रही। हमने इंटरनेशनल, नेशनल लेवल पर जो बेस्ट कर सकते थे, वह किया है। सरबजोत किसी इवेंट से खाली हाथ नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि, 2012 में हमने साथ में ट्रेनिंग शुरू की थी। इसके बाद 2017 में सरबजोत ने नेशनल में पहला ब्रॉन्ज मेडल जीता, जो उनकी जिंदगी का पहला ऐसा मेडल था। उसके बाद सरबजोत लगातार मेडल जीत रहे हैं।
अभिषेक राणा ने एक शूटर के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर कहा, सबसे बड़ी चुनौती यही है कि निशानेबाज जो रोज ट्रेनिंग में करते हैं, फील्ड में उसको लागू करना होता है और अपने बेसिक्स को फॉलो करना होता है।
सरबजोत सिंह ने मंगलवार को 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट में मनु भाकर के साथ कांस्य पदक जीता। इस जोड़ी ने दक्षिण कोरिया की टीम को हराकर पेरिस ओलंपिक में भारत को दूसरा मेडल दिलाया। यह पेरिस ओलंपिक में शूटिंग में भारत का दूसरा मेडल है।
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