नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। 20 जून को शुक्रवार है। ऐसा दिन जब मां लक्ष्मी को पूजा जाता है। राहुकाल 10:38 अपराह्न से 12:23 अपराह्न तक रहेगा। जबकि रेवती नक्षत्र का योग है। सूर्योदय 5:24 प्रात: और सूर्यास्त 19:22 सायं बजे होगा। अब बात उस योग की जिसे सजीला और रमणीय कहा जाता है और ये है 27 योगों में से एक शोभन।
नाम से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि शोभा देने वाला योग है। दृक पंजांगानुसार शोभन को अधिकांश शुभ कार्यों के लिये श्रेष्ठ माना जाता है। इसीलिये यह शुभ मुहूर्त में स्वीकृत है। शुभ कार्य करने और यात्रा पर निकलते वक्त यह योग उत्तम माना गया है। यात्रा मंगलमय और सुखद रहती है। मार्ग में किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती जिस कामना से यात्रा की जाती है वह भी पूरी होती है। 20 जून को शोभन योग का आरम्भ: 02:46 और समापन 23:47 पर होगा।
तो आखिर इसे रमणीय या सजीला क्यों कहते हैं? तो वो इसलिए क्योंकि शास्त्रों के मुताबिक इस योग में जन्मे जातक में कामुकता होती है और वो तीक्ष्ण बुद्धि का होता है। व्यक्ति धार्मिक स्वभाव का होता है और यह पेशेवर कार्यों के लिए भी उत्तम योग माना जाता है। इस योग में जन्मे जातक में बौद्धिकता का विकास होता है, वो गुणवान और मीठा बोलने वाला होता है। देखने में आकर्षक तो होता ही है साथ ही उसके विचार भी प्रगतिशील होते हैं।
ये योग आखिर बनता कैसे है? तो कुंडली में यदि शुक्र बृहस्पति या बुध के साथ केंद्र या कोण में हो और शुक्र उच्च का या स्वगृही हो तो शोभन योग बनता है। शोभन योग में जातक तीक्ष्ण मेधा शक्ति वाला होता है। यदि यह योग नौवें धर्म भाव में बनता है तो जातक अत्यंत प्रगतिशील और धार्मिक होता है।
शुभ मुहूर्त या योग पर चर्चा मुहूर्त मार्तण्ड, मुहूर्त गणपति, धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु आदि शास्त्रों में की गई है। हिन्दू पंचांग में मुख्य 5 बातों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। ये 5 हैं- पहला तिथि, दूसरा वार, तीसरा नक्षत्र, चौथा योग और पांचवां करण। कुल 27 योगों में से शोभन 5वें स्थान पर आता है।
--आईएएनएस
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