स्वामी विवेकानंद की 123वीं पुण्यतिथि, पीएम मोदी ने किया नमन, बोले- उनके विचार हमारे लिए मार्गदर्शक

स्वामी विवेकानंद की 123वीं पुण्यतिथि, पीएम मोदी ने किया नमन, बोले- उनके विचार हमारे लिए मार्गदर्शक

स्वामी विवेकानंद की 123वीं पुण्यतिथि, पीएम मोदी ने किया नमन, बोले- उनके विचार हमारे लिए मार्गदर्शक

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IANS
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New Delhi: PM Modi at Acharya Vidyanand Ji Maharaj’s Centenary Celebration

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें नमन किया है। पीएम मोदी ने उनके विचारों को मार्गदर्शन करने वाला बताया।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स हैंडल पर स्वामी विवेकानंद की 123वीं पुण्यतिथि पर भावनाएं व्यक्त कीं। लिखा, मैं स्वामी विवेकानंद जी को उनकी पुण्यतिथि पर नमन करता हूं। उनके विचार और समाज के लिए उनकी दृष्टि हमारे लिए मार्गदर्शक प्रकाश बनी हुई है। उन्होंने हमारे इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर में गर्व और आत्मविश्वास की भावना जगाई। उन्होंने सेवा और करुणा के मार्ग पर चलने पर भी जोर दिया।

बता दें, पीएम मोदी ने यह पोस्ट शुक्रवार सुबह किया। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में नरेंद्रनाथ दत्त के रूप में हुआ था। श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य बनने के बाद, उन्होंने आध्यात्मिकता और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया।

स्वामी विवेकानंद ने हमें सिखाया कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर हमारी ताकत है, और इसे गर्व के साथ अपनाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने मानवता की सेवा को जीवन का परम लक्ष्य बताया। उनकी शिक्षाएं आज भी हमें एकजुटता, करुणा और आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाती हैं।

स्वामी जी ने 1893 में शिकागो के विश्व धर्म संसद में उनके ऐतिहासिक भाषण ने विश्व मंच पर भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म की गौरवगाथा को प्रस्तुत किया। उनके इस भाषण ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में लोगों को प्रभावित किया। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और मानव सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने भारतीय युवाओं को आत्मविश्वास और सांस्कृतिक गर्व का संदेश दिया। उनका कथन, उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो, आज भी लोगों को प्रेरित करता है। उन्होंने धर्म को केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं माना, बल्कि इसे जीवन के हर क्षेत्र में लागू करने की वकालत की। उनके लिए सेवा और करुणा सच्चे धर्म के आधार थे।

उनके विचारों ने भारतीय समाज में राष्ट्रवाद की भावना को बल दिया और युवाओं को देश के पुनर्निर्माण के लिए प्रेरित किया। उनकी जयंती, 12 जनवरी, भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो उनकी युवा शक्ति के प्रति अटूट विश्वास को दर्शाता है।

--आईएएनएस

वीकेयू/केआर

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