नोएडा : हाउसिंग सोसायटियों में पर्यावरण नियमों की अनदेखी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी गई रिपोर्ट

नोएडा : हाउसिंग सोसायटियों में पर्यावरण नियमों की अनदेखी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी गई रिपोर्ट

नोएडा : हाउसिंग सोसायटियों में पर्यावरण नियमों की अनदेखी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी गई रिपोर्ट

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IANS
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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नोएडा, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित कई प्रमुख ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों द्वारा पर्यावरणीय नियमों की लगातार अनदेखी किए जाने का मामला सामने आया है। नियमानुसार नियुक्त पर्यावरण सेल की टीम एवं संबंधित जलखंड टीम द्वारा हाल ही में इन सोसायटियों के निरीक्षण के दौरान चौंकाने वाली स्थितियां उजागर हुई हैं।

निरीक्षण में पता चला है कि हाउसिंग सोसायटियां एसटीपी प्लांट का सही तरीके से उपयोग नहीं कर रही हैं और लापरवाही बरत रही हैं। इस संबंध में रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी गई है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।

आरजी रेजिडेंसी (सेक्टर 120), सिक्का कार्मिक (सेक्टर 78), ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड और लोटस बुलेवर्ड (सेक्टर 100), पूर्वांचल रॉयल पार्क (सेक्टर 137), एम्स मैक्स गार्सेनिया (सेक्टर 75), प्रतीक बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड और प्रतीक स्टाइलम (सेक्टर 45), और आम्रपाली सिलिकॉन सिटी (सेक्टर 76) जैसे प्रोजेक्ट्स का निरीक्षण किया गया।

निरीक्षण के दौरान पाया गया कि इन परिसरों में स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) आवश्यक क्षमता के अनुरूप संचालित नहीं हो रहे हैं। इतना ही नहीं, कुछ स्थानों पर शोधित या अशोधित सीवेज को खुले नालों में प्रवाहित किया जा रहा है, जो पर्यावरणीय नियमों का सीधा उल्लंघन है। पाया गया कि ये सोसायटियां पर्यावरणीय कानूनों, जैसे जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981, और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2000 तथा 2016 का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं।

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को इस संबंध में सूचित कर दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि ये उल्लंघन राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के दिशानिर्देशों के भी प्रतिकूल हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, संबंधित विभागों से अनुरोध किया गया है कि वे तत्काल प्रभाव से इन सोसायटियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें। मांग की गई है कि उल्लंघन करने वाली संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर की जाए, ताकि पर्यावरण को और अधिक क्षति से बचाया जा सके और भविष्य में ऐसा दोहराव न हो।

--आईएएनएस

पीकेटी/एकेजे

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