टीबी एक सामाजिक-आर्थिक संकट, शीघ्र उपचार जरूरी : डॉ. उपासना अरोड़ा

टीबी एक सामाजिक-आर्थिक संकट, शीघ्र उपचार जरूरी : डॉ. उपासना अरोड़ा

टीबी एक सामाजिक-आर्थिक संकट, शीघ्र उपचार जरूरी : डॉ. उपासना अरोड़ा

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IANS
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टीबी एक सामाजिक-आर्थिक संकट, शीघ्र उपचार जरूरी : डॉ. उपासना अरोड़ा

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नोएडा, 26 मार्च (आईएएनएस)। भारत में क्षय रोग (टीबी) आज भी एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है, जहां विश्वभर में सबसे अधिक टीबी के मामले दर्ज किए जाते हैं। इस गंभीर मुद्दे को सुलझाने और टीबी उन्मूलन की दिशा में प्रभावी कदम उठाने के लिए श्यूविंग्स फाउंडेशन ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के सहयोग से आईएमएस नोएडा, सेक्टर-62 में विश्व क्षय रोग दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया।

कार्यक्रम का मुख्य विषय टीबी मुक्त विश्व की ओर एक कदम - बदलाव का हिस्सा बनें था, जिसके तहत चिकित्सा विशेषज्ञों, उद्योग जगत के नेताओं और नीति निर्माताओं ने भारत से क्षय रोग को समाप्त करने की रणनीतियों पर गहन विचार-विमर्श किया।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. उपासना अरोड़ा ने टीबी को एक सामाजिक-आर्थिक संकट बताया और इसके शीघ्र निदान एवं उपचार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, टीबी केवल एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह लाखों परिवारों को प्रभावित करने वाली एक व्यापक समस्या है। यदि हमने जल्द निदान, उपचार तक पहुंच और जागरूकता बढ़ाने के लिए कदम नहीं उठाए, तो यह एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बनी रहेगी। सरकार, स्वास्थ्य क्षेत्र और कॉरपोरेट संस्थानों के संयुक्त प्रयासों से ही हम भारत को टीबी मुक्त बना सकते हैं।

श्यूविंग्स फाउंडेशन के संस्थापक मदन मोहित भारद्वाज ने कहा कि टीबी उन्मूलन के लिए केवल चिकित्सा प्रगति ही नहीं, बल्कि सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता भी आवश्यक है। लोगों को टीबी के लक्षणों, शीघ्र निदान के महत्व और इस तथ्य के बारे में जानकारी होनी चाहिए कि टीबी पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि कोई भी व्यक्ति जागरूकता या स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण टीबी से प्रभावित न हो।

आईओसीएल के कार्यकारी निदेशक हेमंत राठौर ने सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों के प्रति आईओसीएल की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि उनकी कंपनी व्यापार के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी निभाने में भी विश्वास रखती है। टीबी जागरूकता और उन्मूलन का समर्थन करना हमारे स्वस्थ भारत के दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम जागरूकता कार्यक्रमों, स्वास्थ्य सेवा कोष और अनुसंधान सहायता के माध्यम से 2025 तक भारत से टीबी समाप्त करने के लक्ष्य में योगदान देना चाहते हैं।

वरिष्ठ स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञ कमांडर नवीन बाली ने टीबी के उपचार में नवाचार और तकनीक के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आधुनिक तकनीकों को अपनाने से ही बीमारी को पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है। यदि हम टीबी को हराना चाहते हैं, तो डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों, एआई-आधारित डायग्नोस्टिक्स और उन्नत उपचार विधियों को अपनाना होगा। शीघ्र पहचान और रोगियों की वास्तविक समय की निगरानी से उपचार के परिणामों में काफी सुधार हो सकता है।

कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने टीबी के निदान और उपचार से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। इस पैनल में डॉ. प्रवीन कुमार, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, डॉ. राजेश मिश्रा, निदेशक, क्रिटिकल केयर, मूलचंद अस्पताल, अंशुमान, हेल्थकेयर रणनीतिकार और मीनाक्षी सक्सेना, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल थे। चर्चा में टीबी निदान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की भूमिका, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य सेवा की खाई को कम करने और दवा प्रतिरोधी टीबी की चुनौतियों जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।

इस अवसर पर सफल टीबी उन्मूलन योजनाओं का भी अध्ययन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम ने स्पष्ट संदेश दिया कि टीबी उन्मूलन के लिए केवल सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि इसमें विभिन्न क्षेत्रों के सामूहिक सहयोग की आवश्यकता है। विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और कॉरपोरेट लीडर्स ने सरकारी पहलों का समर्थन करने, उपचार तक पहुंच में सुधार करने और समुदायों को सही जानकारी प्रदान करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

--आईएएनएस

पीकेटी/एबीएम

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