नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट में मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का फैसले किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट के इस फैसले की सराहना करते हुए अपनी खुशी व्यक्त की थी। अब इन भाषाओं के विद्वानों ने प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद किया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि भारत की आत्मा उसकी भाषाओं में बसती है। सरकार भारतीय भाषाओं की अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति बनाने पर भी काम कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की भावना के अनुरूप, भारतीय भाषाओं में सीखने को बढ़ावा देने के साथ-साथ देश की भाषाई विरासत का जश्न मनाने, सम्मान करने और संरक्षित करने के लिए सरकार चौतरफा प्रयास कर रही है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने शुक्रवार को पांचों नव वर्गीकृत शास्त्रीय भाषाओं - प्राकृत, पाली, मराठी, बांग्ला और असमिया के विद्वानों के साथ बातचीत भी की। इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की आत्मा उसकी भाषाओं में बसती है।
उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय भाषाओं की अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति बनाने पर काम कर रही है। पांचों नव वर्गीकृत शास्त्रीय भाषाओं - प्राकृत, पाली, मराठी, बांग्ला और असमिया के विद्वानों के साथ भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चामू कृष्णशास्त्री व यूजीसी चेयरमैन एम. जगदीश कुमार समेत कई अन्य विद्वान व शिक्षाविद् उपस्थित रहे।
पांचों भाषाओं के विद्वानों ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने इन भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषाओं की सूची में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने इन भाषाओं को बढ़ावा देने और समृद्ध करने के लिए भी अपना समर्थन दिया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा कहा है कि देश की सभी भाषाएं भारतीय भाषाएं हैं। सरकार सभी भारतीय भाषाओं में सीखने की प्रक्रिया को मजबूत करने और सुविधाजनक बनाने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।
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