नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल होने के बाद देश और दुनिया की कई प्रमुख शख्सियतों से मुखातिब हुए। हालांकि उस दौर में गुरुजी कहे जाने वाले एमएस गोलवलकर से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी, लेकिन गुरुजी के जीवन के आदर्शों को आत्मसात करने के लिए उन्होंने अपने रहने के लिए हेडगेवार भवन के उसी कमरे को चुना था, जहां कभी गुरुजी रहते थे। 1979 में मोरबी बांध संकट के समय उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से देखा कि संघ के सिद्धांत वास्तविक दुनिया की सेवा में कैसे लागू किए जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन की यह विशेष जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ‘मोदी अर्काइव’ अकाउंट पर साझा की गई है।
‘मोदी अर्काइव’ की पोस्ट में पीएम मोदी के शुरुआती दिनों के बारे में विस्तार से चर्चा कर बताया गया है। इसमें कहा गया, “नरेंद्र मोदी के आज के नेता बनने की यात्रा उनके शुरुआती जीवन के प्रभावों और अनुभवों से प्रभावित थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल होने के बाद, नरेंद्र मोदी की रोल मॉडल की खोज किताबों से आगे बढ़कर वास्तविक जीवन में ऐसे महान नेताओं से हुई, जो राष्ट्रवाद, सेवा और मानवता के प्रतीक थे। वकील साहब ने मोदी को आरएसएस से परिचित कराया, जहां उनकी मुलाकात प्रमुख हस्तियों से हुई, जिन्होंने उनकी सोच और चरित्र को गहराई से प्रभावित किया।
पोस्ट में आगे बताया है कि, हालांकि वह कभी भी एमएस गोलवलकर से नहीं मिले, जिन्हें गुरुजी के नाम से जाना जाता था। मोदी हेडगेवार भवन के उसी कमरे में रहे जहां कभी गुरुजी रहा करते थे। आरएसएस में अपने कार्यकाल के दौरान मिले इन नेताओं में से प्रत्येक ने मोदी के बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास में अद्वितीय योगदान दिया। मोदी न केवल उनकी शिक्षाओं के छात्र थे, बल्कि उनके कार्यों के भी छात्र थे। उन्होंने उनकी दैनिक दिनचर्या, अनुशासन और सेवा के प्रति अथक समर्पण से सीखा।”
आगे मोरबी बांध संकट का जिक्र करते हुए पोस्ट में बताया गया, “1979 में मोरबी बांध संकट के दौरान बालासाहेब देवरस के साथ बिताया गया समय नरेंद्र मोदी के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। यहां उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से देखा कि संघ के सिद्धांत, जिन्हें वे सीख रहे थे और आत्मसात कर रहे थे, वास्तविक दुनिया की सेवा में कैसे लागू किए जा सकते हैं।”
इस पोस्ट में आगे कहा गया, “एकनाथ रानाडे, रज्जू भैया और अनंतराव काले जैसे अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने मोदी को अध्यात्म, शिक्षा और जमीनी स्तर पर सक्रियता के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की शक्ति के बारे में सिखाया। एक अन्य महत्वपूर्ण गुरु के.के. शास्त्री ने मोदी को कर्मयोगी के मूल्यों से प्रेरित किया - कोई ऐसा व्यक्ति जो बिना किसी पुरस्कार की उम्मीद के अथक परिश्रम करता है। 18 घंटे काम करने का शास्त्री का उदाहरण मोदी के अनुशासन और नेतृत्व के लिए एक आदर्श बन गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में नरेंद्र मोदी का समय ऐसे अनुभवों से समृद्ध था, जिसने उनके जीवन दर्शन को आकार दिया। संघ के आदर्शों के प्रति उनका समर्पण, सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता और अथक कार्य नैतिकता इन गुरुओं द्वारा दिए गए पाठों से उपजी है।”
--आईएएनएस
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