नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश के दो राज्यों जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में हुए चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं। हरियाणा में जहां भारतीय जनता पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 48 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं जम्मू-कश्मीर में वह 29 सीटों पर जीत दर्ज कर प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। दोनों विधानसभा चुनाव पर नजदीक से नजर बनाए रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संगीत रागी ने बुधवार को आईएएनएस से खास बातचीत की।
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संगीत रागी ने हरियाणा चुनाव को लेकर आईएएनएस को बताया कि कांग्रेस पार्टी का जो पूरा दुष्प्रचार तंत्र था, वह एक तरीके से फेल हो गया। मुझे लगता है कि वो मुसलमान और जाट को एक साथ गोलबंद करके सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन, ऐसा संभव नहीं हुआ। 2024 लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने जो उदासीनता दिखाई थी, उससे लगा था कि नरेंद्र मोदी को नुकसान हुआ। लेकिन, सिर्फ उनको नहीं बल्कि देश को नुकसान हुआ। ऐसी स्थिति में सीएम योगी ने एक नारा दिया कि बंटोगे तो कटोगे, पीएम मोदी ने कहा कि आप लोग बंटोगे तो बांटने वाले जश्न मनाएंगे, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुओं को देश की सुरक्षा के लिए संगठित होना पड़ेगा। ये तीनों ही बातें बहुत ही महत्वपूर्ण रही। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हरियाणा के अंदर 16,000 से भी ज्यादा बैठकें की थी।
उन्होंने आगे बताया कि जो कार्यकर्ता पिछली बार उदासीन थे, वो खुलकर सड़कों पर आए, पोलिंग बूथ तक गए और भाजपा को वोट किया। उनको लगा कि वोट नहीं करने के कारण हम ऐसी ताकतों को सत्ता में लाकर खड़ा कर देंगे, जो देश और प्रदेश के हित में नहीं होगा। हरियाणा चुनाव में इसका बहुत बड़ा असर देखने को मिला। हम देख सकते हैं कि जितनी सामान्य मतदाताओं को वोटिंग प्रतिशत बढ़ी, उतनी ही वोटिंग प्रतिशत भाजपा की भी बढ़ी। कुल मिलाकर 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने कामों पर ज्यादा भरोसा किया था। उन्होंने सोचा कि हमने समाज के हर वर्ग के लिए काम किया, जिसमें मुस्लिम, मुस्लिम महिलाएं, दलित, पिछड़े आदि शामिल रहे। समाज का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं रहा, जिसको नरेंद्र मोदी ने स्पर्श नहीं किया हो। इसके बावजूद ऐसे नतीजे सामने नहीं आए, जिसकी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपेक्षा थी।
प्रोफेसर ने आगे बताया कि लोकसभा चुनाव में खासकर मुस्लिम वोटर्स ने जो मतदान किया, वो चौंकाने और दुख देने वाला था। जहां मुस्लिम महिलाओं को घर और नल से जल जैसी कई सारी सुविधाएं दी गई, इसके बावजूद मुस्लिम वोटर्स ने धर्म के आधार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों को वोट किया, ना कि उन्होंने प्रगति और विकास के लिए वोट किया। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले चरण की वोटिंग के बात यह चीजें समझ में आ गई थी। यही कारण रहा कि पहले चरण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषा और तेवर बदल गए थे। जब चुनाव के परिणाम सामने आए तो वाकई में वोट जिहाद को देखा गया। ऐसे में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के नारे में वो विश्वास करते हैं, लेकिन सामने वाला विश्वास नहीं करता।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको गंभीरता से लिया है कि किस प्रकार से कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां हिंदू समाज को तोड़ना चाहती हैं। विदेशी ताकतें भी चाहती हैं कि हिंदू समाज टूटा हुआ रहे। यही कारण है कि सीएम योगी ने नारा दिया कि बंटोगे तो कटोगे, इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसा बयान दिया। तीनों बयान एक जगह आकर खड़े हो जाते हैं। इसी कारण हरियाणा के लोगों ने पाया अगर हुड्डा की जीत होती है तो राज्य में एक वंश, एक जाति विशेष के लोग सत्ता में आएंगे और उनकी गुंडागर्दी बढ़ेगी। जैसा यूपी में अखिलेश के आने के बाद यादव और मुस्लिम समाज के गुंडे सड़कों पर उतरे होते हैं, इससे बचने के लिए वहां पर इस प्रकार का वोटिंग पैटर्न देखने को मिल रहा है। मुझे लगता है कि इसी दबंग गिरी को रोकने के लिए हरियाणा में ना केवल गैर जाटव वोट एक ढंग से खड़ा हुआ, बल्कि जाटलैंड में भी भाजपा ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। भाजपा को जाटों का वोट भी बहुत मिला है, जिसके कारण वो सात सीटें जाटलैंड में से जीत पाए हैं।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर प्रोफेसर संगीत रागी ने बताया कि जम्मू में 43 और घाटी में 47 सीटें हैं। घाटी के वोटर्स इस्लाम और धर्म के नाम पर वोट करते हैं, चाहे उसमें कट्टरपंथी राशिद इंजीनियर जीत जाए या फारूख अब्दुल्ला या पीडीपी जीत जाए। लेकिन, जम्मू रीजन में हिंदुओं का वोट एकमुश्त नहीं है। बहुत मुसीबत आने पर ही हिंदू एकजुट होकर मतदान करते हैं। इस चुनाव में भी यही हुआ। लेकिन, उस तरीके से नहीं हुआ जैसा ट्रेंड घाटी के अंदर देखने को मिलता है। मैं इतना कहता हूं कि हिंदुओं का वोट सेक्युलर वोट होता है, जबकि मुसलमानों का वोट हमेशा कम्युनल होता है। मुसलमान शिक्षा, विकास, गरीबी और दवा के लिए वोट नहीं करते हैं। उनको जो बताया जाता है कि आप खतरे में है, वो उसी के आधार पर वोट करते हैं। जो पैटर्न मुसलमानों ने लोकसभा चुनाव में रखा था, उसी पैटर्न को उन्होंने घाटी के अंदर भी दिखाया। यह नहीं भूलना चाहिए कि जम्मू में भी 30 से 35 प्रतिशत मुसलमानों की आबादी है। उस हिसाब से देखें कि भाजपा को जो 29 सीटों पर जीत मिली है, वो कम नहीं है। पार्टी का अंतिम अनुमान पूरे जम्मू-कश्मीर में 35 सीटों को जीतने का था।
--आईएएनएस
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