लखनऊ, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश के कमजोर और वंचित बच्चों के कल्याण के लिए तमाम बड़े कदम उठा रही है।
इसी कड़ी में प्रदेश सरकार की ओर से शुरू की गई स्पॉन्सरशिप योजना वंचित, बेसहारा और दिव्यांग बच्चों के कल्याण में मील का पत्थर साबित हो रही है। महिला और बाल विकास विभाग एक अभियान के तहत दिसंबर तक दिव्यांग बच्चों की पहचान कर योजना की पात्रता पूरी करने वाले बच्चों की आर्थिक सहायता करेगा।
स्पॉन्सरशिप योजना के अंतर्गत प्रति बच्चे को मासिक 4,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। वित्त वर्ष 2024-25 में 20 हजार बच्चों की सहायता के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही योगी सरकार की यह पहल राज्य के वंचित बच्चों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यह योजना केंद्र सरकार की मिशन वात्सल्य पहल का हिस्सा है और इसका उद्देश्य ऐसे बच्चों को सहायता प्रदान करना है, जो कठिन परिस्थितियों में अपने परिवारों के साथ रह रहे हैं।
योगी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में स्पॉन्सरशिप योजना के तहत 11,860 बच्चों को 1,423.20 लाख रुपये की सहायता राशि वितरित की है।
इसके माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि कठिन परिस्थितियों में जी रहे किसी भी बच्चे को आर्थिक सहायता से वंचित न रहना पड़े। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश में एक विशेष अभियान के तहत दिव्यांग बच्चों की पहचान की जा रही है।
दिसंबर तक चलने वाले इस अभियान के तहत जिले स्तर पर योजनाबद्ध तरीके से दिव्यांग बच्चों को चिन्हित कर सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। इन बच्चों में से जो बच्चे स्पॉन्सरशिप योजना की पात्रता पूर्ण कर रहे हैं, उन्हें तत्काल योजना में शामिल किया जाएगा।
स्पॉन्सरशिप योजना के तहत दी गई वित्तीय सहायता से इन बच्चों की उचित देखभाल, शिक्षा और अन्य आवश्यक जरूरतों को पूरा किया जा रहा है। योजना की पात्रता मापदंड इस प्रकार तय किए गए हैं कि सबसे ज्यादा जरूरतमंद बच्चों को इसका लाभ मिल सके। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में अभिभावकों की वार्षिक आय सीमा 72,000 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 96,000 रुपये तय की गई है। वहीं ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में रहने वाले बच्चों के अभिभावकों का अगर निधन हो चुका है, तो उन बच्चों की आय सीमा की बाध्यता समाप्त कर दी गई है।
योजना का लाभ उन बच्चों को भी दिया जाता है, जिनके माता-पिता जेल में हैं, जो एचआईवी/एड्स से प्रभावित हैं या जिनके अभिभावक उनकी देखभाल करने में शारीरिक, मानसिक या आर्थिक रूप से असमर्थ हैं।
इसके अलावा, सड़क पर रहने वाले बच्चों या उत्पीड़न, शोषण का शिकार हुए बच्चों के पुनर्वास के लिए भी यह योजना मददगार साबित होती है।
इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अभिभावकों को आवश्यक दस्तावेज, जैसे आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, उम्र प्रमाण पत्र, अभिभावकों के निधन का प्रमाण पत्र, और बच्चे का शैक्षणिक संस्थान में पंजीकरण प्रमाण, जिला बाल संरक्षण इकाई या जिला प्रोबेशन अधिकारी के कार्यालय में जमा करना होगा।
इस योजना के अंतर्गत प्रति बच्चे को मासिक 4,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। सहायता राशि का 60 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा और 40 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
उत्तर प्रदेश कैबिनेट द्वारा 17 जुलाई 2022 को स्वीकृत स्पॉन्सरशिप योजना ने अपने दायरे का काफी विस्तार किया है। इस वित्तीय वर्ष में लाभार्थियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
महिला बाल विकास विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस योजना के तहत 7,018 बच्चों को 910.07 लाख रुपये वितरित किए गए थे। वहीं, वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 11,860 बच्चों को 1,423.20 लाख रुपये की सहायता दी जा चुकी है।
--आईएएनएस
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