रांची, 30 सितंबर (आईएएनएस)। झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की सामान्य स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता (जेएसएससी-सीजीएल) परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हजारों अभ्यर्थियों ने सोमवार को कमीशन के दफ्तर के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया। वे परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे थे।
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की ओर से लगाई गई बैरिकेडिंग को लांघने का प्रयास किया, जिसे लेकर दोनों पक्षों के बीच हल्की झड़प भी हुई। एक हफ्ते के भीतर छात्रों ने तीसरी दफा कमीशन के ऑफिस के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया है।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि एक तरफ झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने गड़बड़ी के आरोपों की जांच के लिए कमेटी गठित की है और दूसरी तरफ परीक्षा का आंसर-की जारी कर दिया गया है। इससे संदेह पैदा होता है कि कमीशन की मंशा ठीक नहीं है।
झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों में लगभग दो हजार पदों पर नियुक्ति के लिए जेएसएससी-सीजीएल की परीक्षा 21-22 सितंबर को राज्य में 823 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित हुई थी। परीक्षा में 3 लाख 4 हजार 769 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परीक्षा संपन्न होने के दूसरे दिन से ही अभ्यर्थियों ने पेपर लीक और प्रश्नपत्रों में पिछले वर्षों की रद्द परीक्षाओं के प्रश्न बड़ी संख्या में दोहराए जाने के आरोपों को लेकर हंगामा शुरू कर दिया।
रांची और हजारीबाग सहित राज्य के कई शहरों में छात्रों ने प्रदर्शन किए। सोमवार को अभ्यर्थियों का एक समूह हजारीबाग से पैदल मार्च करते हुए रांची पहुंचा था। अभ्यर्थियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बीते बुधवार को गड़बड़ियों के आरोपों और साक्ष्यों के साथ राज्यपाल से मिलकर जांच की गुहार लगाई थी। इसके बाद राज्यपाल ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और जेएसएससी को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच कराने को कहा था। राज्यपाल ने पत्र में कहा था कि परीक्षा और कमीशन की विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।
बता दें कि जेएसएससी-सीजीएल परीक्षा की प्रक्रिया नौ साल से चल रही है। झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (सीजीएल) परीक्षा के लिए अब तक चार बार आवेदन मंगाए, सात बार परीक्षा की तारीख तय की और टाल दी। आठवीं बार परीक्षा शुरू हुई तो पेपर लीक हो गया। नौवीं बार जेएसएससी ने अगस्त, 2024 के तीसरे हफ्ते में परीक्षा की डेडलाइन तय की, लेकिन, इसका पालन करने में फेल हो गया।
इसके बाद दसवीं बार तारीख तय हुई और 21-22 सितंबर को परीक्षा आयोजित की गई। पेपर लीक पर रोक के एहतियाती उपाय के तौर पर सरकार ने राज्य में परीक्षा के दौरान इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद करा दी थी। झारखंड हाईकोर्ट ने इंटरनेट को पूरी तरह बंद करने को गलत बताते हुए संज्ञान भी लिया था।
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