नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)। अभिभावकों का स्क्रीन पर ज्यादा वक्त गुजारने से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। अभिभावक अगर स्क्रीन पर ज्यादा समय देते हैं, तो इसका सीधा असर बच्चों के मानसिक संतुलन पर पड़ता है। इसलिए अपने बच्चों के स्वास्थ्य के लिए माता-पिता को स्क्रीन पर कम समय देना चाहिए।
दरअसल, हाल ही में हुए नए शोध से पता चला है कि स्क्रीन पर ज्यादा समय देकर अभिभावक अपने बच्चों के भाषा विकास कौशल को बर्बाद कर रहे हैं।
शोध में पता चला है कि स्क्रीन पर ज्यादा समय देने से माता-पिता और बच्चों के बीच बातचीत की प्रक्रिया में रुकावट आती है। इससे बच्चों के संज्ञानात्मक विकास पर प्रभाव पड़ता है।
टार्टू विश्वविद्यालय की डॉ. तिया तुलविस्टे के नेतृत्व में जांच दल ने पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों वाले 400 से अधिक परिवारों का सर्वेक्षण किया। इसका उद्देश्य माता-पिता द्वारा फोन, कंप्यूटर, टैबलेट और टीवी के लगातार उपयोग के हानिकारक प्रभावों का पता लगाना था।
शोधकर्ताओं ने पाया कि छोटे बच्चे अपने माता-पिता की तरह ही डिवाइस पर निर्भरता रखते हैं। इसका मतलब है कि माता-पिता जितना अधिक समय स्क्रीन पर बिताते हैं, बच्चे स्क्रीन के उतने ही अधिक शौकीन होते हैं। लेकिन अपने माता-पिता की नकल करने से अंतत: बच्चे की शब्दावली और व्याकरण संबंधी विकास अवरुद्ध हो जाता है।
शोध में पाया गया है कि बच्चे इस दौरान अपने माता-पिता की गतिविधियों का अनुसरण करते हैं। माता-पिता जितना समय स्क्रीन पर देते हैं, बच्चे भी उतना ही समय स्क्रीन पर बिताना चाहते हैं।
उदाहरण के तौर पर. सोशल मीडिया पर माता-पिता ज्यादा समय देते हैं, इससे बच्चे भी प्रेरित होते हैं। इससे उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
स्क्रीन पर ज्यादा समय बच्चों की भावनाओं को प्रभावित कर सकता है। अगर, अभिभावक स्क्रीन पर नकारात्मक व हिंसक चीजें देखतें हैं, तो बच्चों के नकारात्मक व हिंसक होने का खतरा रहता है। स्क्रीन पर ज्यादा समय देने से बच्चों की नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।
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