Advertisment

निर्भया के बाद इस देश ने कुछ नहीं सीखा : मनोज झा

निर्भया के बाद इस देश ने कुछ नहीं सीखा : मनोज झा

author-image
IANS
New Update

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

Advertisment

नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने आईएएनएस से बुधवार को खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बंगाल में विरोध-प्रदर्शन के दौरान हुई गोलीबारी, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के बयान मैं मियां भूमि नहीं बनने दूंगा और उत्तर प्रदेश में रेलवे स्टेशनों के नाम बदले जाने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

बंगाल में विरोध-प्रदर्शन के दौरान हुई गोलीबारी पर उन्होंने कहा कि प्रदर्शन को डील करने का एक तरीका होना चाहिए। लेकिन, हमने तो किसान आंदोलन देखा है, उस समय नुकीले तार लगा दिए गए थे। प्रदर्शन को लेकर इस देश में जो एक समझ होनी चाहिए, उसका अभाव है। पीएम मोदी की एक सांसद किसानों के बारे में क्या-क्या बोल गईं।

उन्होंने कहा कि रेप जैसे जघन्य अपराध पर हर किसी को पीड़ा होनी चाहिए। चाहे वह कलकत्ता का मामला हो, हाथरस का हो या बिलकिस बानो का हो। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि अभी फर्रुखाबाद में हुआ, यह क्यों हो रहा है? निर्भया के बाद इस देश ने कुछ नहीं सीखा। आपको बच्चियों को महफूज रखने के लिए बहुत कुछ करना होगा, कथनी और करनी का फासला मिटाना होगा।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के बयान मैं मियां भूमि नहीं बनने दूंगा पर उन्होंने कहा कि इस देश में हम कहां पहुंच गए हैं, एक व्यक्ति जो सीएम है वह इस तरह का बयान दे रहा है। विधायक बनने के लिए भी संविधान की शपथ लेनी पड़ती है। क्या सीएम सरमा का बयान संविधान की जुबान है? कितना जहर घोलोगे भाई, जहर जब घोलता है ना फ़िज़ा में तो सबके नथुनों में घुसता है, सबके फेफड़े को डैमेज करता है, सबसे ज्यादा संविधान के फेफड़े को डैमेज करता है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अब किस मुंह से विदेश जाकर कहेंगे कि मैं बुद्ध की धरती से आया हूं। यह बुद्ध की धरती की जुबान है? पिछले एक हफ्ते से मैं देख रहा हूं कि एक बयान लखनऊ से आता है, तो दूसरा असम से आता है। लखनऊ वाला बयान कौन दिलवा रहा है और असम वाला बयान कौन दिलवा रहा है, कहीं ना कहीं गुजरात की कोई भूमिका है।

यूपी में रेलवे स्टेशन के नाम बदले जाने पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि अब ट्रेन समय से चलेगी, कोई हादसा नहीं होगा। हमारे लोग जो भेड़-बकरी की तरह जाते हैं वह अब नहीं जाएंगे। नाम बदलने का एक डिपार्टमेंट होना चाहिए, यह काम खुदरा में मत करो। नाम बदलना ही है तो थोक में बदलो।

--आईएएनएस

पीएसके/एसकेपी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Advertisment
Advertisment
Advertisment