तिरुवनंतपुरम, 14 अगस्त (आईएएनएस)। कर्नाटक सरकार ने अपने सभी विभागों को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और पंजाब नेशनल बैंक के साथ सभी लेन-देन निलंबित करने का आदेश दिया है। वित्त विभाग ने सभी राज्य विभागों को इन बैंकों में अपने खाते बंद करने और अपनी जमा राशि तुरंत निकालने का निर्देश दिया है।
कर्नाटक सरकार के वित्त सचिव पी.सी. जाफर द्वारा हस्ताक्षरित इस आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार के विभागों, सार्वजनिक उद्यमों, निगमों, स्थानीय निकायों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों द्वारा भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक में रखे गए खातों को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, इन बैंकों में कोई और जमा या निवेश नहीं किया जाना चाहिए। यह आदेश सरकारी धन के दुरुपयोग और अवैध लेन-देन के आरोपों के बीच आया है।
आदेश में इस बात पर जोर दिया गया है कि इन बैंकों में कोई और जमा या निवेश नहीं किया जाना चाहिए। राज्य ने सभी खातों को बंद करने और एसबीआई तथा पीएनबी दोनों से धन निकालने के लिए 20 सितंबर की समय सीमा तय की है, जिसके अनुपालन की रिपोर्ट उप सचिव को देनी होगी। यह कठोर कदम कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार और विपक्षी भाजपा के बीच विवादास्पद राजनीतिक लड़ाई के बाद उठाया गया है, जो कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों से उपजी है।
विवाद तब शुरू हुआ जब 26 मई को निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखर पी. ने आत्महत्या कर ली और एक नोट छोड़ गए जिसमें 187 करोड़ रुपये के अनधिकृत हस्तांतरण का आरोप लगाया गया था। नोट में दावा किया गया था कि इस राशि में से 88.62 करोड़ रुपये विभिन्न खातों में भेजे गए थे, जिनमें आईटी फर्मों और हैदराबाद में एक सहकारी बैंक का खाता भी शामिल है। मामले को और जटिल बनाते हुए वित्त विभाग के आदेश में कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड से संबंधित धोखाधड़ी के आरोपों का हवाला दिया गया, जहां पीएनबी के बैंक अधिकारियों की संलिप्तता से कथित तौर पर धन की हेराफेरी की गई थी।
मामला अदालत में अब भी अनसुलझा है, और काफी मात्रा में धनराशि वापस नहीं की गई है। इसके अतिरिक्त, कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संबंधित एसबीआई में जमा धनराशि का कथित तौर पर 2013 में दुरुपयोग किया गया था, जिसे जाली दस्तावेजों का उपयोग करके एक निजी कंपनी को दिए गए ऋण के साथ समायोजित किया गया था। यह मामला भी न्यायिक समीक्षा के लिए लंबित है।
--आईएएनएस
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