Advertisment

मध्य प्रदेश के सभी कॉलेजों में आरएसएस से जुड़ी किताबें अनिवार्य, विपक्ष ने किया कटाक्ष

मध्य प्रदेश के सभी कॉलेजों में आरएसएस से जुड़ी किताबें अनिवार्य, विपक्ष ने किया कटाक्ष

author-image
IANS
New Update

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

Advertisment

भोपाल, 13 अगस्त (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश सरकार ने एक निर्देश जारी कर राज्य के सभी कॉलेजों के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं द्वारा लिखी गई किताबों को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करना अनिवार्य कर दिया है।

उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए इस आदेश ने एक राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। विपक्षी दल इसे एक विभाजनकारी विचारधारा को बढ़ावा देने की कोशिश बता रहे हैं, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार का कहना है कि पहले एक राष्ट्र-विरोधी विचारधारा को बढ़ावा दिया जा रहा था।

उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. धीरेंद्र शुक्ला ने सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र लिखा है। इस पत्र में संस्थानों को 88 किताबों का एक सेट खरीदने के निर्देश दिए हैं। लिस्ट में सुरेश सोनी, दीनानाथ बत्रा, डॉक्टर अतुल कोठारी, देवेंद्र राव देशमुख और संदीप वासलेकर जैसे प्रमुख आरएसएस नेताओं की लिखी गई रचनाएं शामिल हैं, जो आरएसएस की शैक्षिक शाखा विद्या भारती से जुड़े रहे हैं।

उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों से कहा है कि वे बिना देरी इन किताबों को खरीदें। यह निर्देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है, जो अकादमिक पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपराओं को शामिल करने की वकालत करता है। विभाग के पत्र में यह भी सिफारिश की गई है कि प्रत्येक कॉलेज में एक इंडियन नॉलेज ट्रेडिशन सेल का गठन किया जाए, जो विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों में इन किताबों को शामिल करने में मदद करेगा।

88 पुस्तकों की सूची ने विवाद खड़ा कर दिया है, खासकर दीनानाथ बत्रा द्वारा लिखित 14 किताबों के कारण। दीनानाथ बत्रा, विद्या भारती के पूर्व महासचिव और आरएसएस के शैक्षिक अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक प्रमुख व्यक्ति हैं। बत्रा इससे पहले क्रांतिकारी पंजाबी कवि अवतार पाश की कविता सबसे खतरनाक को कक्षा 11 की हिंदी की पाठ्यपुस्तक से हटाने की वकालत कर सुर्खियों में आ चुके हैं।

मध्य प्रदेश सरकार के निर्देश की विपक्षी कांग्रेस ने निंदा की है। कांग्रेस ने राज्य सरकार पर छात्रों में विभाजनकारी और नफरत फैलाने वाली विचारधारा को थोपने का प्रयास करने का आरोप लगाया है।

कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने चुने गए लेखकों की उपयुक्तता पर सवाल उठाते हुए तर्क दिया कि उनकी रचनाएं शैक्षणिक योग्यता के बजाय एक खास विचारधारा पर आधारित हैं। मिश्रा ने पूछा, क्या ऐसे लेखकों की किताबें शैक्षणिक संस्थानों में देशभक्ति और त्याग की भावना को प्रेरित करेंगी? उन्होंने वादा किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो इस आदेश को रद्द कर दिया जाएगा।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि इन किताबों का छात्रों के ज्ञान और समग्र व्यक्तित्व पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ेगा। शिक्षा के भगवाकरण में क्या गलत है? कम से कम हम उस राष्ट्रविरोधी विचारधारा को बढ़ावा तो नहीं दे रहे हैं जिसे वामपंथी विचारकों ने कभी हमारे स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रमों पर थोपा था।

--आईएएनएस

एफजेड/एसकेपी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Advertisment
Advertisment
Advertisment