जयपुर, 6 अगस्त (आईएएनएस)। लाडनूं से कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर को विधानसभा से छह महीने के लिए निलंबित कर दिया गया। यह निलंबन सोमवार को विधानसभा सत्र के दौरान किए गए अनुशासनहीनता के कारण हुआ। निलंबन के बाद मुकेश भाकर ने इसे भाजपा के दबाव में लिया गया फैसला करार दिया और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर पक्षपात का आरोप लगाया।
विधानसभा सत्र के दौरान, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की अनदेखी कर पुराने कानून के तहत लोक अभियोजकों की नियुक्ति और विधि मंत्री जोगाराम पटेल के पुत्र को अतिरिक्त महाधिवक्ता बनाए जाने का मुद्दा उठाया। जब इस मुद्दे पर चर्चा चल रही थी, तो सत्ता पक्ष ने इसका विरोध किया, इसके बाद विपक्षी दल ने वेल में आकर नारेबाज़ी शुरू कर दी।
खबरों के मुताबिक मुकेश भाकर ने स्पीकर वासुदेव देवनानी की ओर अंगुली दिखाते हुए आक्रामक रवैया अपनाया, जो स्पीकर को नागवार गुजरा। इसके परिणामस्वरूप स्पीकर ने मुकेश भाकर को निलंबित कर दिया और उन्हें सदन से बाहर निकालने का आदेश दिया। निलंबन के बाद विधानसभा में जबरदस्त हंगामा हो गया।
निलंबन के बाद, मुकेश भाकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह फैसला भाजपा के दबाव में लिया गया है। उन्होंने कहा, हम कानून मंत्री के बेटे की गलत तरीके से नियुक्ति के बारे में बात करना चाहते थे। पहले स्पीकर ने कहा कि आप सीट पर जाएं, मैं व्यवस्था देता हूं। जब हम सीट पर गए तो स्पीकर ने कहा कि आप लिखित में दीजिए, मैं परीक्षण करके कल समय दूंगा। जब नेता प्रतिपक्ष बोल रहे थे, तो भाजपा नेता बीच में खड़े होकर बोलने लगे। मैंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष बोल रहा है, तो आपको अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा, स्पीकर साहब पहले से तय करके आए थे, पहले भी दो-तीन बार टोक चुके थे। विधानसभा में भाजपा सरकार फेल हो रही है, मंत्री जवाब नहीं दे पा रहे थे। उसका बचाव करने की जिम्मेदारी स्पीकर ने अपने ऊपर ली।
मुकेश भाकर ने कहा, स्पीकर पहले से बार-बार ये कह रहे थे कि यूनिवर्सिटी से आए छात्र नेता सुधर जाओ, तुम्हें सस्पेंड कर दूंगा। बिना वोटिंग जल्दबाजी में सस्पेंशन हुआ। मार्शलों ने हमारी महिला विधायकों के साथ जिस तरीके का बर्ताव किया, वह उचित नहीं था।
भाकर ने कहा, मेरे दांत क्या काटने जैसे हैं? मेरा टेस्ट करवा लो, मैं तैयार हूं। यह तो बातें बनाने वाली बात है। उनके लोगों ने जो हमारी पार्टी की महिला विधायकों के साथ बदतमीजी की, उसका कुछ नहीं हुआ। आज कहा जा रहा है कि मैंने उनको काटा है। मैं पुनः बहाल होने के बाद भी अपनी स्टाइल बदलने वाला नहीं हूं। भाजपा को सदन मेें जवाब देना पड़ेगा। चाहे ये परमानेंट मेरी सदस्यता निलंबित कर दे, लेकिन जिस रवैए से यह लोग सदन चलाना चाहते हैं, उसके खिलाफ मैं हमेशा खड़ा रहूंगा।
मुकेश भाकर के निलंबन के बाद से विधानसभा में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है, और यह मामला अब राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है। विपक्ष ने इस निलंबन को लोकतंत्र की हत्या बताया है और कहा है कि भाजपा अपनी ताकत का दुरुपयोग कर रही है।
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