लखनऊ, 25 जुलाई (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव में मनचाहे परिणाम नहीं आने के बाद से भाजपा चौकन्नी होकर काम कर रही है। आगामी उपचुनाव के पहले वह सहयोगी दलों को भी साधना चाहती है। इसके लिए उन्हें निगम बोर्ड में जगह दे सकती है।
सियासी जानकार बताते हैं कि रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने और अपने सहयोगी दलों से संबंध मजबूत रखने के लिए भाजपा अब लंबे समय से खाली चल रहे निगम बोर्ड पार्षद, चेयरमैन और दर्जाधारी मंत्रियों की नियुक्ति करेगी।
भाजपा सूत्रों की मानें तो वह उपचुनाव में किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहती है। इस कारण वह ऐसा कदम उठाने जा रही है। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से सहयोगी दल भी भाजपा सरकार को किसी न किसी बहाने को लेकर घरेने में जुटे थे। वह पार्टी पर दबाव बना रहे हैं। उपचुनाव में ज्यादा सीटों की मांग भी कर रहे हैं। इन्हीं सब कारणों को देखते हुए शीर्ष नेतृत्व ने यह फैसला लिया है। हालांकि, नामों का निर्णय दिल्ली ही करेगा। उसकी सहमति मिलते ही नियुक्ति का काम शुरू हो जाएगा।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक क्षेत्रीय अध्यक्षों व प्रभारियों को नगर निगमों के पार्षद, नगर पालिका के सभासद व नगर पंचायतों के सदस्य के लिए कार्यकर्ताओं के नाम भेजने को कहा गया है। उन्हीं कार्यकर्ताओं के नाम भेजे जाएं जो जमीनी रूप से पार्टी के साथ जुड़े हों। पार्टी में सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हों। नामों के चयन में क्षेत्रीय व सामाजिक तथा राजनीतिक समीकरणों का भी ध्यान रखने को कहा गया है।
एनडीए में शामिल अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष व यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने कहा कि हमने अपनी मांग रख दी है। निषाद पार्टी के मुखिया और कैबिनेट मंत्री संजय निषाद का कहना है कि पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं का एडजस्टमेंट किया जायेगा। इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष और संगठन मंत्री और मुख्यमंत्री से मुलाकात करके अपनी बात रखूंगा। निश्चित तौर से भाजपा सहयोगी दलों को साथ लेकर चलती है। हमारी बात सुनी जाएगी।
यूपी के सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर का कहना है कि निगम आयोग बोर्डों में भाजपा कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाती रही और दी जाएगी। सहयोगी दलों का भी ध्यान रखा जाता है।
एक आंकड़े के अनुसार यूपी में अभी तक 17 नगर निगमों में 170 पार्षद व 200 नगर पालिकाओं में 1,000 सभासद और 545 पंचायतों में 1,635 सदस्यों को नामित किया जाना है।
--आईएएनएस
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